काठमांडू,। नेपाल–चीन व्यापारिक नाकों पर चीन की कड़ाई के कारण
नेपाली कंटेनर समय पर नेपाल वापस न आ पाने के कारण नेपाली व्यवसायी परेशान
हैं। एक नाका बंद होने और चीन से भी आने वाले कंटेनरों की संख्या में कमी
आने की वजह से भी व्यापार प्रतिकूल रूप से प्रभावित हो रहा है।
नेपाल
के व्यवासियों ने यह शिकायत की है। उल्लेखनीय है कि गत जुलाई की बाढ़ के
बाद से रसुवागढ़ी नाका पूर्ण रूप से बंद है, जबकि तातोपानी नाका को लंबे
समय बाद संचालन में लाया गया है। मुस्तांग स्थित कोरला नाका खुलने के
बावजूद, व्यापारी प्रमुख रूप से खाद्यान्न, वस्त्र, फलफूल सहित अन्य
सामग्री रसुवागढ़ी व तातोपानी नाकों से ही आयात करते रहे हैं। कोरला नाका
खुलने के साथ ही इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) का आयात भी शुरू हुआ है।
व्यवसायियों
का कहना है कि वर्तमान स्थिति में तातोपानी नाका से अपेक्षित संख्या में
कंटेनर नेपाल नहीं आ पा रहे। उनके अनुसार रसुवागढ़ी नाका बंद होने के चलते
तातोपानी नाका पर अत्यधिक भीड़भाड़ हो रही है, जिससे और समस्याएँ उत्पन्न
हो रही हैं।
एक व्यापारी ने बताया कि पहले दो नाके चालू थे। एक दिन
में एक नाके से 25-30 कंटेनर आते थे, यानी दोनों से मिलकर 60-70 कंटेनर आते
थे। अब केवल एक नाका चलने के कारण भीड़ बढ़ी है और संभवतः इसी वजह से देरी
हो रही है। आयात में देरी से परिवहन लागत और किराया भी बढ़ गया है।
उधर,
तातोपानी भंसार कार्यालय के अधिकारी एवं सूचना अधिकारी रमेश बहादुर शाह ने
कहा कि हाल ही में चीन की ओर से बहुत कम संख्या में कंटेनर नेपाल में
प्रवेश कर रहे हैं। उनके अनुसार वर्तमान में औसतन प्रतिदिन 13 से 15 कंटेनर
ही नेपाल पहुँच पा रहे हैं।

