सियोल। दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति यून सुक येओल के वकीलों ने
गुरुवार को कहा कि उन्होंने मार्शल लॉ लागू करने के लिए उन्हें हिरासत में
लेने के लिए दूसरे वारंट के खिलाफ निषेधाज्ञा दायर की है। यून गैप-ग्यून और
महाभियोग लगाए गए राष्ट्रपति की कानूनी बचाव टीम के अन्य सदस्यों ने
विदेशी समाचार आउटलेट्स के साथ एक बैठक के दौरान यह टिप्पणी की, जिसमें कहा
गया कि संवैधानिक न्यायालय के साथ क्षमता विवाद पर निर्णय के लिए अनुरोध
दायर किया गया था।
पत्रकारों से बातचीत में राष्ट्रपति यून
के विचारों को साझा करते हुए यून गैप-ग्यून ने कहा कि "पहले और दूसरे
वारंट जारी करने वाले न्यायाधीश और हमारे आपत्ति (पहले वारंट पर) को खारिज
करने वाले न्यायाधीश ने न केवल गलत कानूनी व्याख्या की, बल्कि गलत कानूनी
आवेदन भी कर रहे हैं।" उन्होंने कहा कि कानून के बारे में अनुमान और
अतिशयोक्तिपूर्ण व्याख्याएं हैं, जो इसे अवैध होने की अत्यधिक संभावना
बनाती हैं। हमारी (वकीलों की) टीम ने पहले वारंट के विरुद्ध भी यही कदम
उठाए लेकिन संवैधानिक न्यायालय ने वारंट समाप्त होने से पहले किसी भी
अनुरोध पर कोई कार्रवाई नहीं की। दरअसल, 14 दिसंबर को नेशनल असेंबली द्वारा
महाभियोग लगाए जाने के बाद से राष्ट्रपति सार्वजनिक रूप से नज़रों से दूर
हैं।
पत्रकारों को एक सवाल के जवाब में वकीन यून गैप ने कहा कि
"राष्ट्रपति विश्वास करते हैं कि मार्शल लॉ लागू करना हमारे लोगों को अपने
पैरों पर खड़ा होने के लिए मूड बनाने में भूमिका निभा रहा है।"
बता
दें कि संसद द्वारा पिछले साल 14 दिसंबर को राष्ट्रपति पर महाभियोग चलाने
के लिए मतदान करने के बाद यून की राष्ट्रपति पद की शक्तियों को निलंबित कर
दिया गया था। इसी के बाद सियोल पश्चिमी जिला न्यायालय ने मंगलवार को वारंट
जारी किया जब जांचकर्ताओं ने अपने प्रारंभिक वारंट के विस्तार के लिए आवेदन
किया, जो पिछले दिन समाप्त हो गया था। पिछले शुक्रवार को वारंट को
निष्पादित करने का प्रयास विफल हो गया था, जब जब यून के अंगरक्षकों ने
जांचकर्ताओं को आधिकारिक राष्ट्रपति निवास में प्रवेश करने से रोक दिया था।