कोलकाता, । एक समय था जब बिना टिकट यात्रा करने वाले रेल यात्रियों के बीच “चेतना” ट्रेन का नाम सुनते ही धड़कन तेज हो जाती थी। स्टेशन पर अगर यह लाल रंग की गाड़ी दिख जाए, तो समझिए बिना टिकट वालों की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं — क्योंकि “चेतना” का मतलब था सीधे पकड़कर सियालदह ले जाया जाना।
रानाघाट, कल्याणी, नैहाटी, बैरकपुर, बनगांव, बारासात, बारुईपुर या बजबज —हर जगह “चेतना” नाम का डर था। बाद में इस ट्रेन का रंग और रूप बदल गया, लेकिन इसकी पहचान आज भी कायम है।
बुधवार सुबह करीब आठ बजे बामनगाछी स्टेशन पर एक बार फिर नजर आई वही लाल रंग की विशेष ट्रेन, जिसे रेल विभाग में टिकट चेकिंग वैन कहा जाता है। यह गाड़ी ब्रेकडाउन कार के रूप में भी इस्तेमाल होती है। ट्रेन से उतरे पुरुष और महिला टिकट परीक्षकों की टीम, जिन्होंने यात्रियों के टिकटों की सख्ती से जांच शुरू की।
रेल सूत्रों के अनुसार, यह अभियान बिना टिकट यात्रा रोकने और यात्री जागरूकता बढ़ाने के लिए चलाया जा रहा है। कई वर्षों बाद इस तरह की विशेष “लाल गाड़ी” को फिर से मैदान में उतारा गया है।
बामनगाछी स्टेशन पर ट्रैवलिंग टिकट एग्जामिनर (टीटीई) की टीम को घंटों तक यात्रियों के टिकट जांचते देखा गया। जिन लोगों के पास टिकट नहीं था, वे स्टेशन से भागने की कोशिश में पकड़े गए।
स्थानीय यात्रियों ने कहा कि कई सालों बाद फिर ‘लाल गाड़ी’ दिखी, पहले यह अक्सर नजर आती थी। एक अन्य यात्री ने कहा कि रेल सबसे सस्ती सेवा देती है, इसलिए जो बिना टिकट यात्रा करते हैं, उन्हें जुर्माना लगना ही चाहिए।
रेल अधिकारी ने बताया कि इस तरह की विशेष टिकट जांच गाड़ी को ‘चेतना’ नाम से जाना जाता है। इसका उद्देश्य यात्रियों में जागरूकता बढ़ाना और रेल राजस्व में सुधार लाना है। आने वाले दिनों में सियालदह-बनगांव रूट के अन्य स्टेशनों पर भी यह लाल गाड़ी अभियान चलाएगी।
सियालदह-बनगांव रूट पर फिर लौटी ‘चेतना’, बिना टिकट यात्रियों में मची हड़कंप
