कोलकाता,। यादवपुर में आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज में हुए एक
घटनाक्रम के विरोध में आयोजित प्रदर्शन के दौरान 'कश्मीर मांगे आज़ादी' के
नारे लगने से हंगामा खड़ा हो गया है। इस घटना पर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने
संज्ञान लिया है, और जांच की रिपोर्ट दिल्ली भेजी गई है। रविवार रात को यह
नारे तब लगे जब प्रदर्शनकारियों ने 'तिलोत्तमा के लिए न्याय चाहिए' और 'वी
डिमांड जस्टिस' जैसे बैनर तले एक जुलूस निकाला।
केंद्रीय गृह
मंत्रालय के निर्देश पर जांच शुरू की गई और सोमवार को इस मामले की
प्रारंभिक रिपोर्ट तैयार की गई थी। अब मंगलवार को पता चला है कि यह रिपोर्ट
केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेज दी गई है।
रिपोर्ट में जुलूस के
आयोजकों की पहचान, नारे लगाने वालों के संगठनों से जुड़े होने की जानकारी,
और यह नारे सुनियोजित थे या आकस्मिक— इन सभी सवालों की जांच की जा रही है।
फिलहाल, प्रारंभिक रिपोर्ट के आधार पर कुछ और पहलुओं की जांच की जा रही है,
जिसके बाद अतिरिक्त जानकारी दिल्ली भेजी जा सकती है।
कोलकाता पुलिस
ने इस मामले में पहले ही देशद्रोह का मामला दर्ज कर लिया है। पाटुली थाना
में दर्ज एफआईआर में इस मामले की गहन जांच की जा रही है। गृह मंत्रालय के
सूत्रों के अनुसार, इस नारे के पीछे किसी बड़ी साजिश की संभावना से भी
इनकार नहीं किया जा सकता है। अब तक 15-20 लोगों की पहचान कर ली गई है और
उनकी तस्वीरों के साथ पूरी जानकारी गृह मंत्रालय को भेजी गई है। इस सूची
में यादवपुर के कुछ पूर्व छात्र भी शामिल हैं, जिन पर पहले भी राज्य में
राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में संलिप्त होने के आरोप लगे हैं।
उल्लेखनीय
है कि इस समय जम्मू-कश्मीर में तीसरे चरण के चुनाव हो रहे हैं, और ऐसे में
कोलकाता में इस तरह के नारे लगने से केंद्र सरकार चिंतित है। सरकार यह पता
लगाने की कोशिश कर रही है कि क्या इस घटना में कश्मीर के किसी संगठन से
कोई संबंध है। धारा 370 और 35ए के निरस्त होने के बाद यह पहला मौका है जब
कश्मीर में चुनाव हो रहे हैं, और ऐसे संवेदनशील समय में देश के एक अन्य
राज्य में इस तरह के नारे लगने पर सरकार की पैनी नजर है।
सूत्रों
का कहना है कि बांग्लादेश में हाल ही में शेख हसीना सरकार के पतन के बाद से
पश्चिम बंगाल पर केंद्र की विशेष निगरानी है। केंद्र सरकार राज्य में किसी
भी राष्ट्रविरोधी ताकत को उभरने का मौका देने के पक्ष में नहीं है और इस
घटना को गंभीरता से लिया जा रहा है।