कोलकाता,
। पश्चिम बंगाल सरकार ने छठे वित्त आयोग का गठन कर दिया
है, जिसमें राज्य के पूर्व मुख्य सचिव हरिकृष्ण द्विवेदी को अध्यक्ष
नियुक्त किया गया है।
सचिवालय के एक अधिकारी के अनुसार, यह आयोग
पंचायतों की आर्थिक और संरचनात्मक स्थिति को सुधारने के साथ-साथ विकास
योजनाओं में सरकारी धन के उपयोग की रणनीति तैयार करेगा।
इस आयोग में
कुल पांच सदस्य हैं। अध्यक्ष हरिकृष्ण द्विवेदी के अलावा, इसमें दो पूर्व
आईएएस अधिकारी अजय भट्टाचार्य और बर्णाली विश्वास, एक पूर्व डब्ल्यूबीसीएस
अधिकारी आशीष कुमार चक्रवर्ती, और बैंक अधिकारी रूमा मुखर्जी शामिल हैं।
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आयोग का कार्यकाल और उद्देश्य
नवनिर्मित
आयोग का कार्यकाल दो वर्ष का होगा। इसका मुख्य कार्य पंचायतों की आय, कर
व्यवस्था, और वित्तीय स्थिति की समीक्षा करना है। साथ ही, यह आयोग विकास
कार्यों के लिए बनाई गई योजनाओं की प्रासंगिकता और उनके क्रियान्वयन पर नजर
रखेगा। पंचायतों के साथ-साथ यह आयोग नगरपालिकाओं की आर्थिक स्थिति का भी
अध्ययन करेगा और राज्यपाल को आवश्यक सिफारिशें भेजेगा।
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कार्य योजना और समयसीमा
छठा
वित्त आयोग एक अप्रैल 2025 से अपना कार्य आरंभ करेगा। छह महीने के भीतर,
यह अगले पांच वर्षों के लिए योजनाओं की रूपरेखा तैयार करेगा। पंचायत और
नगरपालिका की आर्थिक स्थिति के आधार पर आयोग उपयुक्त सुझाव भी देगा।
2022
में राज्य सरकार ने पांचवें वित्त आयोग का गठन किया था, जिसकी अध्यक्षता
अर्थशास्त्री अभिरूप सरकार ने की थी। इस आयोग में बर्णाली विश्वास, स्वपन
कुमार पाल, आशीष कुमार चक्रवर्ती, और रूमा मुखर्जी जैसे सदस्य शामिल थे।
इनमें से तीन सदस्य - बर्णाली विश्वास, आशीष चक्रवर्ती और रूमा मुखर्जी -
छठे वित्त आयोग में भी शामिल किए गए हैं।
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हरिकृष्ण द्विवेदी की भूमिका
दिसंबर
2023 में हरिकृष्ण द्विवेदी ने मुख्य सचिव के पद से सेवानिवृत्ति ली थी।
इसके बाद, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उन्हें तीन वर्षों के लिए वित्तीय
सलाहकार के रूप में नियुक्त किया। अब छठे वित्त आयोग की जिम्मेदारी सौंपकर
सरकार ने उनके अनुभव का उपयोग पंचायतों और नगरपालिकाओं की आर्थिक स्थिति को
सुदृढ़ करने के लिए किया है।
नगरपालिकाओं की वित्तीय व्यवस्था में
सुधार की उम्मीद की जा रही है। राज्य सरकार का लक्ष्य है कि इन संस्थाओं
को सशक्त बनाकर विकास कार्यों को और अधिक प्रभावी बनाया जाए।