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विधानसभा चुनाव से पहले बड़े पैमाने पर जनसंपर्क अभियान चलाएगी भाजपा


पश्चिम बंगाल में भारतीय जनता पार्टी ने अपने संगठनात्मक ढांचे में पनप रही गड़बड़ियों को दूर करने के लिए व्यापक अभियान शुरू किया है। संगठनात्मक आंकड़ों में फर्जीवाड़े की आशंका के बाद अब केंद्रीय पर्यवेक्षक खुद मैदान में उतरकर स्थिति का आकलन कर रहे हैं। इसी हफ्ते से शुरू हुए इस अभियान के तहत अगले तीन दिनों तक विभिन्न जिलों में जाकर मंडल स्तर की समितियों की समीक्षा की जाएगी। इसके बाद सात जून से शक्तिकेंद्रों और अंत में बूथ स्तर पर सर्वेक्षण किया जाएगा।

राज्य में भाजपा के राजनीतिक केंद्रीय पर्यवेक्षक मंगल पांडे खुद इस प्रक्रिया में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। जबकि पार्टी के संगठनात्मक पर्यवेक्षक पवन बंसल पहले ही इस दिशा में काम की शुरुआत कर चुके हैं। जानकारी के अनुसार, संगठन के भीतर "बूथ सशक्तिकरण" नामक यह आंतरिक कार्यक्रम भाजपा के लिए बेहद अहम बन चुका है, खासकर आगामी विधानसभा चुनावों को देखते हुए।

सूत्रों के अनुसार, सात मई को आयोजित एक संगठनात्मक बैठक में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने पार्टी के आंतरिक ढांचे पर सवाल उठाए थे। उन्होंने संकेत दिया था कि मंडल, शक्तिकेंद्र और बूथ स्तर पर जो संगठनात्मक आंकड़े प्रस्तुत किए गए हैं, उनकी जमीनी सच्चाई से मेल नहीं खाती। इस संदेह के बाद पवन बंसल ने दिल्ली से कॉल सेंटर के जरिए विभिन्न जिलों के भाजपा कार्यकर्ताओं से संपर्क साधना शुरू किया। इसी प्रक्रिया में कई फर्जी आंकड़े उजागर हुए।

केंद्रीय नेतृत्व का मानना है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में मिली निराशाजनक परिणामों के पीछे इसी तरह के ग़लत आंकड़ों के आधार पर बनाई गई रणनीति जिम्मेदार रही। इसलिए इस बार वे आंकड़ों को सत्यापित कर नई रणनीति बनाने में जुटे हैं। तीन चरणों में चलने वाले इस अभियान में पहले वास्तविक स्थिति का आंकलन, फिर ढांचे में मौजूद खामियों को सुधारना और अंत में संगठनात्मक मजबूती की दिशा में कार्य करना शामिल है।

इस अभियान में कई वरिष्ठ नेता भाग ले रहे हैं जिनमें संगठन के सह-प्रभारी अमित मालवीय, राज्य संगठन सचिव अमिताभ चक्रवर्ती, सतिश ढोंड, पांच महासचिव – जगन्नाथ चट्टोपाध्याय, लॉकेट चट्टोपाध्याय, दीपक बर्मन, अग्निमित्रा पॉल, ज्योतिर्मय महतो – और उपाध्यक्ष रथींद्रनाथ बोस व खगेन मुर्मू शामिल हैं। इनके अलावा तीन पूर्व केंद्रीय मंत्री – निशिथ प्रामाणिक, देवश्री चौधरी और सुभाष सरकार – भी इस कार्यक्रम में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं।

राज्य में करीब 80 हजार बूथ हैं, जिनमें लगभग 14 हजार बूथ मुस्लिम बहुल हैं। भाजपा इन बूथों पर कमेटी बनाने की योजना में नहीं है। पार्टी का मानना है कि लगभग नौ हजार बूथ ऐसे भी हैं जहां कथित ‘राजनीतिक हिंसा’ के कारण संगठन निर्माण संभव नहीं हो पाया। शेष 57 हजार बूथों पर पूर्ण संगठनात्मक उपस्थिति सुनिश्चित करने का लक्ष्य तय किया गया है। यदि यह लक्ष्य पूरा हो जाता है, तो पार्टी शेष क्षेत्रों में भी शक्ति विस्तार की योजना पर विचार करेगी।