नोएडा,। डायबिटीज़ अब सिर्फ बुजुर्गों की बीमारी नहीं रह गई है,
बल्कि यह तेजी से युवाओं में भी बढ़ रही है। वर्ल्ड डायबिटीज़ डे के मौके
पर यथार्थ अस्पताल, नोएडा में हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में डॉक्टरों ने बताया
कि ओपीडी में आने वाले हर पाँचवा मरीज डायबिटीज़ की समस्या से ग्रसित है।
इसकी सबसे बड़ी वजह गलत खानपान, तनाव और कम शारीरिक गतिविधि है।
यथार्थ
अस्पताल के सीनियर कंसल्टेंट और हेड इंटर्नल मेडिसिन, डॉ मंजू त्यागी ने
बताया कि कोविड के बाद डायबिटीज़ के मामलों में बढ़ोतरी देखी गई है।
उन्होंने कहा, “कोविड के बाद कई युवाओं में ब्लड शुगर बढ़ा हुआ पाया जा रहा
है। कोविड के दौरान शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता और पैंक्रियास पर असर
पड़ा है। साथ ही तनाव, असंतुलित खानपान और नींद की कमी भी इसकी बड़ी वजहें
हैं।
उन्हाेंने बताया कि आजकल मोटापा और डायबिटीज़ जैसी जीवनशैली
से जुड़ी बीमारियाँ बहुत बढ़ रही हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए हमने
यथार्थ अस्पताल, नोएडा सेक्टर 110 में एक विशेष ओबेसिटी क्लिनिक शुरू की
है। यहाँ मरीजों को पूरी जांच, परामर्श और इलाज की सुविधा दी जाएगी, ताकि
वे अपना वजन नियंत्रित रख सकें और डायबिटीज़ का खतरा कम कर सकें।
डॉ.
प्रखर गर्ग सीनियर कंसल्टेंट इंटर्नल मेडिसिन ने कहा कि दिल्ली-एनसीआर
में करीब 25 से 26 प्रतिशत लोग डायबिटीज़ से प्रभावित हैं। उन्होंने कहा,
“अब युवाओं और कामकाजी महिलाओं में भी डायबिटीज़ के नए मामले बढ़ रहे हैं।
अगर लोग समय-समय पर शुगर टेस्ट और हेल्थ चेकअप करवाएँ, तो बीमारी को
शुरुआती दौर में ही कंट्रोल किया जा सकता है।
डॉ. आशीष गुप्ता
(कंसल्टेंट, एंडोक्राइनोलॉजी) ने बताया कि मोटापा और बढ़ता स्क्रीन टाइम अब
बड़ी चुनौती बन गए हैं। उन्होंने कहा, “लंबे समय तक मोबाइल या कंप्यूटर पर
रहने से शरीर की गतिविधियाँ कम हो जाती हैं, खानपान बिगड़ता है और वजन
बढ़ता है। यही मोटापा आगे चलकर डायबिटीज़ का खतरा बढ़ाता है।
युवाओं में तेजी से बढ़ रहा है डायबिटीज़ का खतरा, कोविड के बाद बढ़े मामले
