देवर्षि नारद जयंती एवं पत्रकार सम्मान समारोह का भव्य आयोजन
बिरसा हुंकार पत्रिका के नव स्वरूप का लोकार्पण भी हुआ
विश्व संवाद केंद्र, झारखंड द्वारा ज्येष्ठ कृष्ण प्रतिपदा के पावन अवसर पर 15 मई 2025 को देवर्षि नारद जयंती सह पत्रकार सम्मान समारोह एवं बिरसा हुंकार पत्रिका नये स्वरूप में लोकार्पण का आयोजन रांची कॉलेज परिसर स्थित आर्यभट्ट सभागार में संपन्न हुआ।
कार्यक्रम की शुरुआत भारत माता एवं देवर्षि नारद जी के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलन के साथ की गई। मंचस्थ अतिथियों का स्वागत पारंपरिक विधि से किया गया।
कार्यक्रम में पत्रकारिता के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए देवर्षि नारद पत्रकार सम्मान-२०२५ तीन श्रेणियों में प्रदान किए गए। वरिष्ठ पत्रकार श्रेणी *श्री सीताराम पाठक जीगढ़वा, पलामू क्षेत्र 83 वर्षीय सक्रिय पत्रकार हैं, पद्मश्री बलबीर दत्त जी साथ राँची एक्सप्रेस, देशप्राण जैसे अनेकों संस्थानों में अपनी सेवाएँ दी । महिला पत्रकार की श्रेणी में प्रभात खबर की वरिष्ठ संवाददाता श्रीमती लता रानीराँची, एवं नवोदित पत्रकार श्री बीरबल यादव जामा, दुमका को यह सम्मान प्रदान किया गया। साथ ही, विभिन्न स्थानों से आए हुए पत्रकारों को भी प्रतीक चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की जागरण पत्रिका ‘बिरसा हुंकार’ के नव स्वरूप का लोकार्पण भी मंचस्थ विशिष्ट अतिथियों के कर-कमलों द्वारा संपन्न हुआ। पत्रिका की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए बिरसा सेवा स्मृति न्यास के अध्यक्ष श्री राजेंद्र मिश्र ने कहा कि यह पत्रिका झारखंड की जनजातीय संस्कृति, सामाजिक चेतना एवं राष्ट्र निर्माण के कार्यों की एक सशक्त अभिव्यक्ति है।
मुख्य वक्ता के रूप में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख श्री सुनील आंबेकर ने कहा,
> “वर्तमान समय में जब सूचनाओं का प्रवाह बिना सत्य और तथ्य की पुष्टि के हो रहा है, ऐसे में देवर्षि नारद जी के संवाद कौशल से पत्रकारों को सीख लेनी चाहिए।कहा कि वर्तमान समय में जिस तरह से सत्य और तथ्य को जाने बगैर सूचनाओं का आदान-प्रदान किया जा रहा है, ऐसे समय में देवर्षि नारद जी से पत्रकारों को सीख लेने की आवश्यकता है। हाल की घटनाओं पर उन्होंने कहा कि अभी हाल ही में भारत-पाकिस्तान युद्ध में भारतीय सेना ने अपने पराक्रम का परिचय दिया। कई बड़े-बड़े मीडिया हाउस ने भी भ्रामक खबरें चलाईं। तथ्यों को बढ़ा-चढ़ाकर प्रस्तुत किया। जबकि भारत के अंदर कई मीडिया हाउस ने अपनी सकारात्मक पत्रकारिता का परिचय दिया। उन्होंने कहा कि भारत की मीडिया की जिम्मेदारी ऐसे मौके पर और भी बढ़ जाती है ताकि समाज तक सत्य पहुंच सके। उन्होंने कहा कि देश की एकता के लिए राजनीतिक और भौगोलिक के साथ-साथ हमारे मन भी एक होने चाहिए। हमारे देश की एकता पर प्रहार करने वाले लोग पहले भी थे और आज भी हैं। आज देश की एकता के लिए जरूरी है कि हम सबमें समानताएं क्या हैं, उसे उजागर करना और उसे जोड़ना बहुत आवश्यक है।
हमें अपने देश के इतिहास को जानने के साथ-साथ उसे सही क्रम में जानना भी उतना ही जरूरी है। उदाहरण के तौर पर उन्होंने कहा कि आज भारत में भाषा के नाम पर राजनीति हो रही है, लेकिन हमें यह समझना होगा कि हमारी भाषाएं आपस में ही एक-दूसरे की बहनें हैं। भारत की सारी भाषाएं एक-दूसरे से मिलकर ही आगे बढ़ीं और विकसित हुईं। उन्होंने कहा कि आने वाली तकनीक हमारी भाषाओं के साथ हमें भी जोड़ने का काम करे, ऐसी ही कोशिश हमें भी करनी होगी। भाषाओं के बाद उन्होंने बताया कि कई लोग हमें जातियों में भी विभक्त करने की कोशिश करते रहते हैं। उन्होंने बताया कि झारखंड में कई तरह के जनजातीय समाज के लोग रहते हैं। उन्होंने झारखंड की जनजातीय समाज की संस्कृति को हिंदू संस्कृति का सबसे शुद्धतम स्वरूप बताया। वही संस्कृति धीरे-धीरे अन्य गांव और शहरों में आई, वह अलग-अलग तरीके से विकसित होती चली गई। उन्होंने कहा कि इस तरह की कई बातें लोग भूल जाते हैं। इसीलिए आज की पत्रकारिता में हमें समाज में इस बात को बार-बार पहुंचाने की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि भारत के इतिहास और सांस्कृतिक विकास की कथा से जानबूझकर कुछ पन्ने हटा दिए गए और कुछ पन्ने जोड़ दिए गए, जिसके कारण समाज में भ्रम की स्थिति पैदा हुई है। इन्हीं बातों को बताते हुए उन्होंने कहा कि आज देवर्षि नारद को आदर्श मानकर ही पत्रकारिता करने की आवश्यकता है।
उन्होंने आगे बताया कि पिछड़े और गरीबों के हितों के नाम पर हिंसक आंदोलन भी किए गए, जिनसे कभी उन गरीबों का भला नहीं हो पाया। वहीं कई क्षेत्रों में वनवासी कल्याण आश्रम के कार्यों का जिक्र किया, जिनके कारण उन क्षेत्रों में विकास और शांति देखी गई, जबकि वर्षों से उन्हीं के नाम पर लोगों को भ्रमित करने वाले माओवादी और मिशनरी प्रभावित क्षेत्रों में विकास और शांति स्थापित नहीं हो पाई।
उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ 100 वर्षों का हो चुका है। 100 वर्ष पहले परम पूज्य डॉक्टर हेडगेवार जी ने कहा था कि असामान्य काम सामान्य लोग एक साथ मिलकर आसानी से कर सकते हैं। यह अब हमारे समाज में दिखने लगा है। उन्होंने इसका उदाहरण देते हुए कोरोना के समय को याद करते हुए कहा कि सरकार के साथ-साथ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और ऐसी कई संस्थाएं थीं, जिन्होंने मिलकर सरकार का साथ दिया और इस महामारी से लड़ा।
उन्होंने झारखंड की जनजातीय संस्कृति को हिंदू संस्कृति का शुद्धतम स्वरूप बताया और कहा कि यह संस्कृति पूरे भारतवर्ष की सांस्कृतिक एकता का मूल है।
मुख्य अतिथि के रूप में विकास भारती के सचिव पद्मश्री अशोक भगत ने देवर्षि नारद जी की जयंती पर कहा कि आज के समय में देवर्षि नारद जी ने ही तथ्य और सत्य पर आधारित सकारात्मक पत्रकारिता की शुरुआत की थी। आज भी इसी सकारात्मकता के साथ पत्रकारिता की आवश्यकता है। प्रत्येक पत्रकार को नारद जी को ही अपनी प्रेरणा मानकर काम करना चाहिए और यही कारण है कि हम आज नारद जयंती मना रहे हैं।
उन्होंने कहा कि प्रेरणादायक पत्रकारिता वही होती है जो समाज को दिशा दे, उसे जागरूक करे और रचनात्मक संवाद स्थापित करे।
विशिष्ट अतिथि क्षेत्र संघचालक श्री देवव्रत पाहन जी, विश्व संवाद केंद्र अध्यक्ष श्री रामावतार नारसरिया जी, तथा *बिरसा सेवा स्मृति न्यास अध्यक्ष श्री राजेंद्र मिश्र जी ने भी अपने विचार साझा किए और नारद जी की पत्रकारिता परंपरा को आज के संदर्भ में अत्यंत प्रासंगिक बताया।
कोविड काल में समाज सेवा के उदाहरणों से संघ की सामाजिक भागीदारी को रेखांकित किया गया।
कार्यक्रम के अंत में श्री रामावतार नारसरिया ने *धन्यवाद ज्ञापन* प्रस्तुत किया और “वंदे मातरम्” गीत के साथ समारोह का समापन हुआ।इस कार्यक्रम में समाज के अनके वर्गों की सहभागिता रही। डॉ अजीत कुमार, डॉ तपन शांडिल्य,करमवीर सिंह,राकेश लाल, धनंजय सिंह, डॉ सुभाष यादव, संजय जैन, मयूर मिश्र, जिज्ञासा ओझा, प्रतिष्ठा सिंह, मनोज भारद्वाज, सुषमा कुमारी, संजीव गोस्वामी, विवेक सिंह, दीपक पांडेय, बिनायक मिश्र, पंकज वत्सल, चंदन मिश्र, डॉ गोपाल पाठक, डॉ मयंक मुरारी, शशांक राज, भानु जालान, राजीव कमल बिट्टू, विजय घोष, प्रशांत पल्लव, रवि प्रकाश, रोहित शारदा, निलेश कुमार, डॉ सतहिश मिद्धा, धनंजय पाठक, प्रकाश, विकास कुमार इत्यादि अनेकों गणमान्य व्यक्तियों के साथ साथ प्रेस के साथियों ने बड़ी संख्या में अपनी उपस्थिति दी।