महाकुम्भ
नगर,। प्रयागराज के महाकुम्भ में
संत-महंत,महामण्डलेश्वर, शंकराचार्यों, अखाड़ों, कल्पवासियों के साथ ही
देवतागण भी उपस्थित रहेंगे। महाकुंभ में 11 फीट के लम्बे नर्मदेश्वर
शिवलिंग श्री अच्युतेश्वर महादेव के रूप में विराजेंगे। इन्हें भक्त जहां
दर्शन करेंगे, वहीं 21 फीट ऊंचे मचान से अमृत कलश के जरिए रूद्राभिषेक कर
अपनी मन्नतों को पूरा करेंगे।
हरिद्वार के स्वामी भूमानन्द निकेतन
की ओर से महाकुंभ के संगम लोवर मार्ग, सेक्टर-19 में विशाल नर्मदेश्वर
शिवलिंग को स्थापित किया जा रहा है। यह कुम्भ क्षेत्र में श्री अच्युतेश्वर
महादेव के नाम से विराजेंगे। इनकी कुल ऊंचाई जमीन से 21 फीट है। महादेव के
रूद्राभिषेक के लिए 21 फीट ऊंचा मचान तैयार किया जा रहा है। जिस पर
शिवभक्त बैठकर रूद्राभिषेक करेंगे और शिवजी से अपने मनवांछित फल की कामना
करेंगे।
भूमानन्द निकेतन कैम्प की व्यवस्था देख रहे सुनील कुमार
ने बताया कि इस शिवलिंग को मध्यप्रदेश से मंगाया गया है। इसकी वजन छह टन है
यानी 600 किलो है। उन्होंने बताया कि कैम्प के मुख्य गेट पर सप्त ऋषि भी
विराजेंगे। गेट के बीचो-बीच मां गंगा कलश के ऊपर विराजेंगी। उन्होंने बताया
कि भूमानन्द निकेतन के शंकर शंकराचार्य अनन्त श्री विभूषित स्वामी
अच्युतानन्द तीर्थ जी महाराज 09 जनवरी को महाकुम्भ के मेले में प्रवेश
करेंगे।
ये हैं सप्त ऋषि
कश्यप, अत्रि, वशिष्ठ, विश्वामित्र,
गौतम, जमदग्नि और भारद्वाज, इन सात ऋषियों को सप्तर्षि कहा जाता है। हर
काल में अलग-अलग सप्तर्षि होते हैं। ये सप्तर्षि मौजूदा काल के हैं।
क्यों प्रसिद्ध है नर्मदेश्वर शिवलिंग
नर्मदेश्वर
शिवलिंग, भगवान शिव का एक रूप माना जाता है। यह शिवलिंग, मध्य प्रदेश में
बहने वाली नर्मदा नदी में पाया जाता है। नर्मदा नदी से जुड़े होने के कारण
ही इसे असली नर्मदेश्वर शिवलिंग कहा जाता है। इस शिवलिंग को बाणलिंग भी कहा
जाता है। भगवान शिव के वरदान के कारण नर्मदा नदी का कण-कण शिव माना जाता
है।
उन्होंने बताया कि नर्मदा नदी के शिवलिंग को सीधा ही स्थापित
किया जा सकता है, इसके प्राण प्रतिष्ठा की आवश्यकता नहीं होती है। कहा जाता
है कि, जहां नर्मदेश्वर का वास होता है, वहां काल और यम का भय नहीं होता
है।
उन्होंने बताया कि श्री अच्युतेश्वर महादेव जी का रूद्राभिषेक
13 जनवरी से प्रारम्भ होगा, जो कुंभ मेले तक प्रतिदिन निरन्तर चलेगा।
उन्होंने बताया कि महादेव के प्रतिदिन रूद्राभिषेक के लिए कैम्प में
गौ-माताएं भी आ चुकी हैं। उन्हीं के दूध से रूद्राभिषेक होगा। उन्होंने
बताया कि कैम्प परिसर में शिव पुराण तथा श्रीमद् भागवत कथा की रसधार भी
बहेगी। इसके अलावा श्री स्वामी भूमानन्द हॉस्पिटल की ओर से नि:शुल्क
स्वास्थ्य शिविर भी लगाया जायेगा।