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बांग्लादेशी घुसपैठियों की पहचान के लिए पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची की होगी सघन जांच


कोलकाता, । पश्चिम बंगाल के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) कार्यालय ने बांग्लादेश से सटी अंतरराष्ट्रीय सीमावर्ती जिलों की मतदाता सूचियों की सघन जांच शुरू की है। खुफिया एजेंसियों से मिले इनपुट के अनुसार, बांग्लादेशी कट्टरपंथी समूहों के कुछ सदस्यों ने अवैध रूप से भारतीय मतदाता के रूप में अपना नाम दर्ज करवाया है।

सीईओ कार्यालय के एक‌ अधिकारी के अनुसार, यह प्रक्रिया मुर्शिदाबाद जिले से शुरू की गई है। हाल ही में बांग्लादेश-आधारित कट्टरपंथी संगठन अंसारुल्लाह बांग्ला टीम (एबीटी) के कार्यकर्ता शाद रदी उर्फ शाब शेख की गिरफ्तारी के बाद यह पता चला कि उसने न केवल मुर्शिदाबाद में मतदाता सूची में अपना नाम दर्ज करवाया था, बल्कि जिले की दो अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों कांदी और हरिहरपाड़ा में भी मतदाता के रूप में पंजीकरण करवाया था।

जांच के दौरान यह भी सामने आया है कि कुछ मामलों में एक ही मतदाता पहचान संख्या (ईपीआईसी) पश्चिम बंगाल और गुजरात के दो अलग-अलग मतदाताओं को आवंटित की गई है। इन घटनाओं को गंभीरता से लेते हुए सीईओ कार्यालय ने सभी नए आवेदनों के दस्तावेजों की गहन जांच के निर्देश दिए हैं।

अधिकारी के मुताबिक, फर्जी दस्तावेज तैयार करने की प्रक्रिया में फर्जी राशन कार्ड पहले चरण में आता है, जिसके बाद फर्जी मतदाता पहचान पत्र (ईपीआईसी) बनता है। तीसरे और चौथे चरण में फर्जी पैन कार्ड और आधार कार्ड तैयार किए जाते हैं, जबकि अंतिम चरण में फर्जी पासपोर्ट बनता है।

सीईओ कार्यालय के एक अधिकारी ने बताया, “अगर इस श्रृंखला को फर्जी ईपीआईसी कार्ड के स्तर पर ही तोड़ दिया जाए, तो आगे के सभी चरण स्वतः रुक जाएंगे। इसके लिए नए ईपीआईसी कार्ड आवेदकों के दस्तावेजों की जांच में अतिरिक्त सतर्कता बरतने के निर्देश दिए गए हैं।”

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आगे की योजना

मुर्शिदाबाद जिले में जांच पूरी होने के बाद, राज्य के अन्य जिलों, विशेष रूप से बांग्लादेश से सटे सीमावर्ती जिलों की मतदाता सूचियों की भी इसी तरह सघन जांच की जाएगी। यह प्रक्रिया बांग्लादेशी घुसपैठियों की पहचान कर उन्हें भारतीय मतदाता सूची से हटाने और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए की जा रही है। ‌ उक्त अधिकारी ने बताया कि सीमावर्ती जिलों की मतदाता सूची की जांच के बाद अन्य जिलों की भी मतदाता सूची को चेक किया जाएगा।

उल्लेखनीय कि अभी हाल ही में पश्चिम बंगाल के दो मतदाताओं को जो वोटर कार्ड मिला था उसका एपिक नंबर गुजरात के दो अन्य मतदाताओं से सेम टू से मैच कर रहा था। इसके बाद राज्य चुनाव अधिकारी के कार्यालय की कार्यशैली पर सवाल खड़े हुए हैं।