नई
दिल्ली, । रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने रेपो रेट
में 0.25 फीसदी की कटौती का एलान किया है। आरबीआई ने रेपो रेट घटाकर 6
फीसदी कर दिया है, जो पहले 6.25 फीसदी था। आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष
2025-26 के लिए आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को 6.7 फीसदी से घटाकर 6.5
फीसदी कर दिया है। रिजर्व बैंक के इस फैसले से आने वाले दिनों में लोन की
ब्याज दर सस्ती हो सकती है। इससे ईएमआई भी घटेगी।
आरबीआई गवर्नर
संजय मल्होत्रा ने बुधवार को नए वित्त वर्ष 2025-26 की पहली मौद्रिक नीति
समिति (एमपीसी) की तीन दिवसीय समीक्षा बैठक के बाद इसकी जानकारी दी।
ल्होत्रा ने कहा, 'मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने सर्वसम्मति से नीतिगत दर
रेपो रेट को तत्काल प्रभाव से 25 आधार अंकों यानी 0.25 फीसदी घटाकर 6
फीसदी करने के लिए मतदान किया।
उन्होंने कहा कि मौद्रिक नीति समिति
ने आम सहमति से रेपो रेट को 0.25 फीसदी घटाकर छह फीसदी करने का निर्णय किया
है। भारतीय अर्थव्यवस्था लक्ष्यों के अनुरूप आगे बढ़ रही है। आर्थिक
वृद्धि में सुधार जारी है। मल्होत्रा ने कहा कि चालू वित्त वर्ष की शुरुआत
अमेरिकी शुल्क के साथ वैश्विक अनिश्चितता के साथ हुई है, आरबीआई की स्थिति
पर नजर है।
मौद्रिक नीति समिति क्या है
आरबीआई की मौद्रिक
नीति समिति में 6 सदस्य होते हैं। इनमें से 3 सदस्य रिजर्व बैंक के होते
हैं, जबकि बाकी 3 सदस्य केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त किए जाते हैं। छह
सदस्यीय इस समिति को मूल्य स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए मौद्रिक पॉलिसी
बनाने के अलावा प्रमुख नीतिगत ब्याज दरें निर्धारित करने का काम सौंपा गया
है। ये बैठक आमतौर पर प्रत्येक दो महीने में होती है।
क्या होता है रेपो रेट
रेपो
रेट वह नीतिगत ब्याज दर होता है जिस पर भारत के बैंक, रिजर्व बैंक ऑफ
इंडिया (आरबीआई) से पैसे उधार लेते हैं। आरबीआई जब इस दर को कम करता है, तो
बैंक भी कम ब्याज दरों पर ग्राहकों को लोन दे सकते हैं। इसका मतलब है कि
लोन लेने वाले लोगों को कम ब्याज देना होगा। अगर रेपो रेट कम होती है तो
होम लोन, कार लोन और पर्सनल लोन पर ब्याज दरें कम हो जाएंगी। इसके साथ ही
कारोबारियों के लिए लोन लेना भी आसान हो जाएगा।
वर्तमान में एमपीसी के सदस्य
रिजर्व
बैंक के वर्तमान में छह सदस्य हैं। इनमें आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा,
केंद्रीय बैंक के कार्यकारी निदेशक डॉ. राजीव रंजन, रिजर्व बैंक के डिप्टी
गवर्नर एम राजेश्वर राव, डॉ. नागेश कुमार, डायरेक्टर और चीफ एग्जीक्यूटिव,
औद्योगिक विकास अध्ययन संस्थान, नई दिल्ली के सौगता भट्टाचार्य,
अर्थशास्त्री प्रोफेसर राम सिंह, डायरेक्टर, दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स,
दिल्ली विश्वविद्यालय हैं।
उल्लेखनीय है कि आरबीआई ने इससे पहले इस
साल फरवरी में मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो दर में 0.25 फीसदी की कटौती
कर 6.25 फीसदी कर दिया था। यह मई, 2020 के बाद पहली कटौती और ढाई साल के
बाद पहला संशोधन था। रिजर्व बैंक की मौद्रिक समीक्षा की बैठक आमतौर पर हर
दो महीने में होती है। इस वित्तीय वर्ष में कुल 6 बैठकें होंगी। मॉनेटरी
पॉलिसी कमेटी में 6 सदस्य होते हैं। इनमें से 3 आरबीआई के होते हैं, जबकि
बाकी केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त किए जाते हैं।