किडनी ट्यूमर से मासूम बच्चों को बचाने के लिए चाइल्ड पीजीआई कर रहा है
चाइल्ड पीजीआई की रिसर्च फैसिलिटी के शोधकर्ता डॉ. दिनेश साहू ने बताया कि विल्म्स ट्यूमर 3-4 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए सबसे घातक किडनी ट्यूमर है। डॉ. दिनेश ने बताया कि बच्चों में ट्यूमर के कुछ मार्कर्स होते हैं, जिन्हें बायोमार्कर्स कहा जाता है। जैसे बच्चों में म्यूटेशन होता है ऐसे में जीन में कुछ बदलाव हो जाता है। इससे ट्यूमर बन जाता है इसलिए बायोमार्कर्स का पता किया जा रहा है। डॉ. दिनेश ने बताया कि यह शोध 3 से 5 साल तक के बच्चों पर किया जा रहा है। बच्चों के जन्म के समय ही कुछ टेस्ट करवा रहे हैं और कुछ नए बायोमार्कर्स ढूंढने की कोशिश कर रहे हैं।
डॉ. आकाश राज, एमएस, चाइल्ड पीजीआई ने बताया कि विल्म्स ट्यूमर को नेफ्रोब्लास्टोमा के रूप में भी जाना जाता है। बच्चों में सबसे आम किडनी कैंसर है। कई मामलों का उपचार पांच साल की उम्र से पहले किया जाता है। हमने संस्थान में जेनेटिक विश्लेषक स्थापित किया है। यह मशीन बीमारी के शीघ्र निदान में मदद करेगी।
किडनी ट्यूमर से मासूम बच्चों को बचाने के लिए चाइल्ड पीजीआई कर रहा है शोध

शोध ट्यूमर से मासूम बच्चों को बचाने के लिए चाइल्ड पीजीआई कर रहा है शोध बच्चों की किडनी में ट्यूमर को कैंसर में बदलने वाले कारक समय रहते इलाज हो सके, इसके लिए नोएडा के सेक्टर 30 में स्थित चाइल्ड पीजीआई शोध कर रहा है। इसमें ट्यूमर को कैंसर में बदलने वाले बायोमार्कर्स का पता किया जा रहा है। इस शोध में किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) लखनऊ के डॉक्टर भी सहयोग कर रहे हैं।