मथुरा। राष्ट्रीय स्वयंसेवक के सरकार्यवाह दत्तात्रेय
होसबाले ने पत्रकारों के प्रश्नों का उत्तर देते हुए कहा कि हिन्दू समाज की
एकता संघ का जीवनवृत्त है। हिन्दू एकता लोक कल्याण के लिए है। हिन्दू समाज
एकता से नहीं रहेगा तो हम तो कहते हैं कि जब-जब हिन्दू भाव को भूले आयी
विपद महान। भाई छूटे धरती खोई मिटे धर्मसंस्थान, यह हमारा गीत है। हम जाति,
भाषा, प्रान्त, अगड़ा-पिछड़ा करेंगे तो हम कटेंगे। इसलिए किसी भी राष्ट्र
के नाते एकता आवश्यक है। इसे आचरण में लाना है। आज बहुत सारे लोग इसे अनुभव
से समझ रहे हैं। हिन्दू सब के लिए सुख प्रदान करेगा। अपने को भी बचाये
रखना और दुनिया के लिए मंगल करना। हिन्दुओं को तोड़ने के लिए शक्तियां काम
करती हैं। वे हिन्दू को जाति के नाम पर या अन्य किसी मुद्दे पर तोड़ेंगे,
इससे हमें सावधान रहना है।
मथुरा में कार्यकारी मण्डल की बैठक के
बारे में सरकार्यवाह ने बताया कि संघ में हर स्तर के कार्यकर्ताओं के
प्रशिक्षण वर्ग पद्धति और परम्परा है। शाखा में आने वाले सामान्य
विद्यार्थी से लेकर जिले के कार्यकर्ता,प्रान्त व गृहस्थ कार्यकर्ता
हैं,प्रचारक हैं ऐसे सब प्रकार के कार्यकर्ताओं के लिए भिन्न—भिन्न अंतराल
पर हम प्रशिक्षण वर्ग करते हैं। संघ की पद्धति है व्यक्ति निर्माण से
राष्ट्र निर्माण। संघ कार्यकर्ता निर्माण की प्रक्रिया निरंतर जारी रखता
है। इस प्रकार इस अखिल भारतीय कार्यकारी मण्डल की बैठक के दौरान दो दिन में
वैचारिक अधिष्ठान की पद्धतियां,नये लोग समाज से अलग—अलग आयामोंं जुड़ते
जाते हैं विभिन्न आयु वर्ग के भी जुड़ते हैं इसलिए उनके साथ संघ के विचार
को कैसे सम्प्रेषित करना चाहिए, इस पर चर्चा हुई है।
पंच परिवर्तन के विषयों को अपने जीवन व्यवहार में लाएं
सरकार्यवाह
ने कहा कि इस वर्ष संघ विजयादशमी के पर्व पर संघ शताब्दी वर्ष में प्रवेश
किया है। आगामी विजयादशमी के बाद शताब्दी वर्ष पर जो भी कार्यक्रम मनाना
है, उस पर सोच रहे हैं। अभी कार्य विस्तार व कार्य की गुणवत्ता बढ़ाने पर
आग्रह था। प्रत्येक स्वयंसेवक पंच परिवर्तन के विषयों को अपनी
शाखा,घर-परिवार और मुहल्लों में समाज परिवर्तन हेतु अपने जीवन व्यवहार में
लाएं।
मतांतरण व लव जिहाद के बारे में दत्तात्रेय होसबाले ने कहा
कि युवकों को, किशोरियों को बचाना हमारा काम है। हमारी युवतियां जानी ही
नहीं चाहिए। परिवार में, घर में अच्छा संस्कार मिलना चाहिए। केरल में लगभग
200 युवतियों को बचाने का काम हुआ। जो चली गयी थीं, वह वापस आयीं। वापस आने
के बाद उन युवतियों ने इसके बारे में जागरूकता के लिए काम किया।
सरकार्यवाह
ने कहा कि धर्म जागरण समन्वय के माध्यम से घर वापसी का काम हो रहा है। संघ
के स्वयंसेवक मतांतरण न हो और जो चले गये हैं, उनकी वापसी के लिए काम हो
रहा है। मतांतरण से राष्ट्रान्तरण होता है। इन विषयों को समाज के सामने
लाना चाहिए। समाज का आचरण भी ठीक होना चाहिए। समाज में गरीबी व अस्पृश्यता
है। इसलिए सेवा बस्तियों में सेवा कार्य होना चाहिए।
स्व के जागरण के लिए शुरू हुआ संघ का कार्य
संघ
का कार्य ही स्व के जागरण के लिए शुरू हुआ। भारत का स्व यानि यहां की
मिट्टी की सुगंध। स्वतंत्रता आन्दोलन का स्व राष्ट्रीय स्वत्व है। स्व को
हम अपने ग्राम स्वराज में,शिक्षा में,व्यापार में,युद्ध में,स्वास्थ्य में
लाएं। हमारी भाषा संस्कृति,जीवनशैली हमारी सभ्यता के अनुरूप हो। भारत की
ज्ञान परम्परा के बारे में आज तमाम पुस्तकें आ चुकी हैं। हमारे हर आयाम में
स्व दिखना चाहिए।
मुस्लिम भी वक्फ के शोषण से त्रस्त हैं
वक्फ
बोर्ड के बारे में सरकार्यवाह ने कहा कि 2013 तक यह समस्या नहीं थी। वक्फ
को पूरा अधिकार दे दिया। जिलाधिकारी भी कुछ नहीं कर सकता। भारत के अंदर एक
स्वतंत्र इकाई हो गयी। लक्षित हिंसा विधेयक भी लाया गया था। यह
हिन्दू-मुस्लिम का विषय नहीं है। मुस्लिम भी वक्फ के शोषण से त्रस्त हैं।
किसी पार्टी या समुदाय का प्रश्न नहीं हैं। देश की भावना के अनुरूप इसमें
आवश्यक संशोधन करना है।
कांग्रेस व वामपंथियों के लिए भी कुटुम्ब प्रबोधन चाहिए
हम
संदेश सबको देते हैं केवल भाजपा के लिए नहीं। कुटुम्ब प्रबोधन कांग्रेस के
लिए भी चाहिए। वामपंथियों के लिए भी चाहिए। उन्होंने बताया कि उत्तर
प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आये थे। वह अखिल भारतीय अधिकारियों
के साथ बैठे थे। मुख्यमंत्री ने कुम्भ के आयोजन के संबंध में चर्चा की है।
उन्होंने पूरे देश के सभी सम्प्रदायों व सभी वर्ग कुंभ में आने चाहिए, इसके
लिए संघ से सहयोग करने को कहा है। कुंभ में आने वाले लोगों तक कोई विचार
यहां से जाए, इस पर चर्चा हुई।
कांग्रेस के साथ भी हमारी कोई खींचातानी नहीं
संघ
सार्वजनिक संगठन है। हमारा किसी के साथ यहां तक कि कांग्रेस के साथ भी
हमारी कोई खींचातानी नहीं है। हमारे पदाधिकारी सभी से मिलते हैं। हम लोग भी
सब से मिलते हैं। पत्रकार,राजनीतिक पार्टी के नेताओं,जनजाति समाज व
उद्योगपतियों से मिलते हैं। हम सब से मिलना चाहते हैं। संघ का व्यक्तिगत
कोई स्वार्थ नहीं है। हमें राष्ट्र का कल्याण व उसकी सुख शान्ति चाहिए।
जैसे सामाजिक अस्पृश्यता गलत है उसी तरह राजनीतिक अस्पृश्यता भी गलत है।
संघ की मिट्टी अलग है।