उन्होंने बताया कि सालों पहले आर्थिक संकट और घटती
मांग के चलते जब कला के अस्तित्व पर संकट गहरा गया था, तब वर्ष 2014 में
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रोत्साहन ने उनकी राह बदल दी। नंद लाल
शर्मा बताते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी ने न सिर्फ हौसला बढ़ाया, बल्कि उनकी
कला को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों तक पहुंचाने का अवसर भी दिया।
इसी का परिणाम है कि आज डीसी हैंडीक्राफ्ट्स की काष्ठ-कला देश-विदेश में
प्रशंसा पा रही है। उन्होंने बताया कि उनकी उत्कृष्ट कृति ‘राज गद्दी – राम
दरबार’ को वर्ष 2022 में G7 शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने
इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो को भेंट किया था। यह काशी की कला
परंपरा के लिए गर्व का क्षण माना जाता है।
काशी-तमिल संगमम : दर्शकों काे भा रही डीसी हैंडीक्राफ्ट्स की काष्ठ-कला, प्रधानमंत्री मोदी भी हैं मुरीद
वाराणसी: उत्तर प्रदेश के वाराणसी में ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’
की भावना को साकार करता काशी-तमिल संगमम का चौथा संस्करण चल रहा है।
नमोघाट पर लगे स्टॉलों पर प्रदर्शित काष्ठ-कला कृतियां की अनूठी छटा
आगंतुकों के आकर्षण का विशेष केंद्र बनी हुई है। यहां उत्तर भारतीय
परंपराओं और तमिल संस्कृति का गहरा संबंध कलाकृतियों के रूप में जीवंत होता
दिख रहा है।
इस वर्ष कार्यक्रम की थीम “तमिल करकलाम” (तमिल सीखो)
है। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की पहल पर घाट पर लगे विभिन्न संस्थाओं के
स्टाॅलों में से स्टॉल संख्या 29 पर मौजूद वाराणसी के डीसी हैंडीक्राफ्ट्स
ने सबका ध्यान खींचा है। इस स्टॉल की हर कलाकृति काशी की सात पीढ़ियों
पुरानी काष्ठ-परंपरा का प्रतीक मानी जाती है। इस संबंध में विशेषज्ञ कारीगर
शिक्षक ओम प्रकाश शर्मा और नंदलाल शर्मा बताते हैं कि वे इस विशिष्ट कला
रूप के सातवीं पीढ़ी के कलाकार हैं और आज वाराणसी में इस शैली के अकेले
संरक्षक भी। हाथों की निपुणता और वर्षों की साधना से लकड़ी को जीवन देने
वाली यह परंपरा अब उनके ही प्रयासों से आगे बढ़ रही है। दोनों कारीगर
एनआईएफटी रायबरेली सहित कई प्रतिष्ठित संस्थानों में कार्यशालाएं भी आयोजित
कर चुके हैं।
