रांची। देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को
जारी अपने शोक संदेश में कहा है कि भगवान बिरसा मुंडा के वंशज मंगल मुंडा
के निधन से अत्यंत दु:ख हुआ है। उनका जाना उनके परिवार के साथ ही झारखंड
के जनजातीय समाज के लिए भी अपूरणीय क्षति है। शोक की इस घड़ी में ईश्वर
उनके परिजनों को संबल प्रदान करें। ओम शांति।
उनके निधन पर झारखंड
के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने गहरा दु:ख जताया है, उन्होंने कहा कि इस खबर
से अत्यंत दुखी हूं। उन्होंने अपने शोक संदेश में कहा है कि मरांग बुरु
दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान कर शोकाकुल परिवारजनों को दुःख की यह विकट
घड़ी सहन करने की शक्ति दें।
भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष
एवं पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने अपने शोक संदेश में लिखा है कि
धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा के परपोते मंगल मुंडा जी का असामयिक निधन
अत्यंत दु:खद और हृदय विदारक है। संड़क दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल
होने के बाद जिस तरह से उन्हें इलाज के लिए तड़पना पड़ा, वह हमारी व्यवस्था
की संवेदनहीनता को दर्शाता है। इस नाजुक स्थिति में भी उन्हें समय पर
ट्रामा सेंटर में बेड नहीं मिला। इलाज शुरू करने में 10 घंटे की देरी हुई।
परिजनों को 15 हजार की दवाएं भी खुद खरीदनी पड़ी।
उन्होंने कहा कि
अबुआ सरकार में एक गरीब आदिवासी की जिंदगी की कीमत आज बस इतनी ही रह गई है।
यह केवल मुंडा जी की मौत नहीं, बल्कि व्यवस्था के द्वारा उनकी हत्या है।
जिस झारखंड को बिरसा मुंडा के आदर्शो पर चलना चाहिए था, वहां उनके वंशज के
साथ ऐसा व्यवहार होना हर संवेदनशील व्यक्ति को झकझोर कर रख देता है।
उन्होंने कहा कि क्या आज हमारी सरकार और व्यवस्था में गरीबों की कोई जगह
नहीं बची है? यह सवाल सिर्फ मंगल मुंडा के परिवार का नहीं, बल्कि झारखंड के
हर गरीब आदिवासी का है।
झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन
ने अपने शोक संदेश में कहा है कि धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा के वंशज मंगल
मुंडा जी के निधन की दु:खद खबर से मर्माहत हूं। यह झारखंड एवं देशभर के
आदिवासी समाज के लिए एक अपूरणीय क्षति है। मरांग बुरू दिवंगत आत्मा को
शांति प्रदान करें तथा परिजनों को यह दु:ख सहने की शक्ति दें। अंतिम जोहार!
पूर्व
मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने अपने शोक संदेश में लिखा है कि बिरसा मुंडा
के वंशज मंगल मुंडा जी हम सब के बीच में नहीं रहे, यह समस्त झारखंड के लिए
दु:ख का विषय है। जब उन्हें रिम्स लाया गया तब वे रात भर एंबुलेस में
घायल अवस्था में पड़े रहे, लेकिन उन्हें देखने वाला कोई नहीं था। जब मुझे
सूचना मिली तो मैं रिम्स के पदाधिकारियों से बात कर उन्हें भर्ती कराया।
लेकिन एक शहीद परिवार के वंशज के साथ इस तरह का व्यवहार स्वास्थ्य
व्यवस्था पर बड़े सवाल खड़े करता है। साथ ही यह किसी के साथ न हो, इस पर
सरकार को ध्यान देने की आवश्यकता है। अगर समय पर उनका ईलाज होता तो उनकी
जान बच सकती थी। राज्य सरकार को स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर संवेदनशील होना
चाहिए।