BREAKING NEWS

logo

उपचुनाव में बसपा ने मांगे दावेदारों के नाम, रणनीति बनाने में जुटी सपा-भाजपा


लखनऊ,। उत्तर प्रदेश में दस विधानसभा सीटों पर होने जा रहे उपचुनाव में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की अध्यक्ष मायावती ने अपने कार्डिनेटरों से दावदारों के नाम मांगें हैं। वहीं समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने जीती हुई पांच सीटों के अलावा पांच और सीटों पर जीत की रणनीति बना रही है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय महामंत्री संगठन बीएल संतोष की मौजूदगी में भाजपा भी उपचुनाव के तैयारियों में जुट गयी है।


उत्तर प्रदेश के नौ विधायकों के लोकसभा सांसद बनने और विधायक इरफान सोलंकी को सजा होने के बाद कुल दस विधानसभा सीटें खाली हैं। प्रदेश में खाली हुई दस विधानसभा सीटों पर जल्द ही उपचुनाव होने है। पहली बार उपचुनाव में बसपा अपनी दिलचस्पी दिखा रही है, जबकि बसपा के हाथ में इसमें से कोई विधानसभा नहीं रही। फिर भी बसपा के उतरने से सपा या भाजपा का खेल निश्चित ही बदलेगा।

दस में से पांच सीटें करहल, कुंदरकी, कटेहरी, सीसामउ, मिल्कीपुर अभी तक सपा खेमे में रही। इन सभी सीटों पर फिर से सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव अपनी साइकिल दौड़ाना चाहते हैं। संसद की कार्यवाही में शामिल हो कर लौटते ही अखिलेश यादव उपचुनाव की तैयारी में जुट गये हैं। उपचुनाव को लेकर मौजूदा सांसदों, राष्ट्रीय कार्यकारिणी, प्रदेश कार्यकारिणी के दिग्गज नेताओं को अखिलेश यादव ने जिम्मेदारी दी है।

अलीगढ़ की खैर विधानसभा, गाजियाबाद विधानसभा और फूलपुर विधानसभा अभी तक भाजपा के पास रही। भाजपा के रणनीतिकार अपनी तीन सीटें आसानी से जीतना चाहते हैं। भाजपा के साथ गठबंधन में आ चुकी राष्ट्रीय लोकदल के पास अभी तक मीरापुर विधानसभा सीट थी, जिसे भी एनडीए गठबंधन के प्रमुख नेता जीतने के लिए अपना दांव चलेंगे।

मीरजापुर का नाम सामने आते ही सियासत गरम हो जाती है। मीरजापुर नामचीन नेताओं की कर्मभूमि रही है और यहां की मझवां विधानसभा सीट भी खाली हुई है। इस पर अभी तक निषाद पार्टी का कब्जा था। इस सीट को जीतने के लिए भाजपा, निषाद पार्टी और अपना दल (एस) संयुक्त रूप से विचार विमर्श कर रहे हैं। मझवां में बसपा के चुनाव मैदान में उतरने के बाद यहां मुकाबला और भी दिलचस्प होने की उम्मीद है।

उत्तर प्रदेश में दो सीटें मांग सकती है कांग्रेस



लोकसभा चुनाव में सपा के साथ गठबंधन कर लड़ी कांग्रेस आगे भी इसे बरकरार रखना चाहती है। इसके लिए कांग्रेस उपचुनाव में दो सीटें मांग सकती है। वहीं सपा अकेले भी उपचुनाव में दांव खेल सकती है। माना जा रहा है कि कांग्रेस की ओर से मजबूत उम्मीदवार के नाम सामने नहीं आये तो उपचुनाव में सपा अकेले ही लड़ेगी।