कानपुर, । यूं तो शहर में देवी मां के कई मंदिर स्थापित है। जो
अपनी अलग-अलग विशेषताओं और मान्यताओं के लिए सुप्रसिद्ध हैं। जहां नवरात्रि
के दिनों में भक्तों की भारी भीड़ भी देखी जाती है। फीलखाना स्थित वैभव
लक्ष्मी मंदिर यहां पर विराजमान लक्ष्मी माता अपने दोनों हाथों से भक्तों
को आशीर्वाद देती हैं। मंदिर के संरक्षक आनन्द कपूर का ऐसा दावा है कि पूरे
भारत मे ऐसी मूर्ति और कहीं नहीं है। यही कारण है कि यह मंदिर श्रद्धालुओं
की आस्था का केंद्र बना हुआ है।
लक्ष्मी माता दोनों हाथों से भक्तों को देती हैं आशीर्वाद
देशभर
में देवी मां के अलग-अलग स्वरूपों के तमाम मंदिर स्थापित हैं। सभी मंदिर
अपनी विशेषताओं और मान्यताओं के लिए भी जाने जाते हैं। ऐसा ही शहर के
फीलखाना स्थित वैभव लक्ष्मी मंदिर है। यहां पर स्थापित वैभव लक्ष्मी की
मूर्ति का स्वरूप बिल्कुल अलग है। दरअसल मंदिर में विराजमान लक्ष्मी माता
अपने दोनों हाथों से भक्तों को आशीर्वाद दे रहीं हैं। जबकि वेदों और
पुराणों के अनुसार कमल के फूल पर विराजमान लक्ष्मी माता की एक हाथ में कमल
का फूल और दूसरे हाथ से आशीर्वाद या धन की वर्षा करती हैं। मूर्ति की यही
विशेषता हमें यहां तक खींच लाई और हमारी मुलाकात मंदिर संरक्षक से हुई आईए
जानते हैं। मूर्ति के पीछे की कहानी उन्हीं की जुबानी।
कन्या स्वरूप मां ने सपने में दिए थे दर्शन
मंदिर
के संरक्षक आनन्द कपूर ने बताया कि साल 2001 में उन्हें एक सपना आया।
जिसमें एक छोटी सी कन्या अपने दोनों हाथों से आशीर्वाद देते हुए उनसे बोली
कि मैं माता लक्ष्मी हूं। मुझे स्थान देते हुए मेरी पूजा अर्चना करो।
हालांकि उस समय कपूर परिवार की माली हालत ठीक नहीं थी, इसलिए उन्होंने इस
बात को कुछ समय के लिए टाल दिया लेकिन कहीं ना कहीं उन्हें यह सपना लगातार
बेचैन भी कर रहा था। कुछ समय बाद खुद को आर्थिक रूप से मजबूत करते हुए साल
2002 में बसंत पंचमी के अवसर पर दोनों हाथों से आशीर्वाद देती हुई मूर्ति
स्थापित कराई।
मंदिर संरक्षक की बात सुनकर मूर्तिकार भी हुआ था हैरान
उन्होंने
बताया कि जब वह मूर्ति लेने गए तो उनकी यह बात दोनों हाथों से आशीर्वाद
देते हुए सुनकर एक बार के लिए मूर्तिकार भी हैरान और परेशान हो गया कि
आखिरकार लक्ष्मी माता की ये कैसी मूर्ति मांग रहे हैं। जबकि सदियों से समाज
माता के उसी स्वरूप को पूजता चला आ रहा है। जिसमें वह एक हाथ से आशीर्वाद
और दूसरे हाथ से धन की वर्षा कर रहीं हैं। हालांकि मूर्ति स्थापित होने के
बाद संरक्षक आनंद कपूर का ऐसा दावा है कि पूरे भारत में ऐसी देवी की ऐसी
मूर्ति और कहीं नहीं है।
नवरात्रि में पड़ने वाले शुक्रवार के दिन भक्तों को वितरित किया जाता है खजाना
आगे
उन्होंने बताया कि साल में दो बार चैत्र और शारदीय नवरात्रि के दिनों में
शुक्रवार के दिन मंदिर में दर्शन करने आने वाले श्रद्धालुओं को खजाना
वितरित किया जा रहा है। जिसे लेने के लिए कानपुर ही नही बल्कि उसके आस-पास
के जिलों से हजारों की संख्या में भक्त घण्टों लाइनों में लग कर मां के
आशीर्वाद रूपी खजाने को प्राप्त करते हैं।
मंदिर आकर हाथों में मेहंदी लगवाने से बनता है विवाह का योग
इस
मंदिर की मान्यता यह भी है कि जिस किसी लड़के या लड़की के विवाह में कोई
रुकावट आ रही है। तो हरतालिका तीज के अवसर पर हाथों में मेहंदी लगवाने से
साल भीतर विवाह का योग बनता है। साथ ही हर साल बसंत पंचमी के दिन मंदिर की
स्थापना दिवस के अवसर पर भण्डारे का भी आयोजन किया जाता है।
शहर में स्थापित वैभव लक्ष्मी की ऐसी मूर्ति जैसी भारत में कहीं और नहीं
