वाराणसी। श्री काशी विश्वनाथ की नगरी में धनतेरस पर्व पर
मंगलवार को सुबह पांच बजे से माता अन्नपूर्णा के स्वर्णमयी स्वरूप के दर्शन
होंगे। दरबार में लगातार पांच दिनों तक काशी पुराधिपति महादेव को भी
अन्नदान देने वाली अन्नपूर्णेश्वरी के स्वर्णमयी स्वरूप का दर्शन और
सिक्का, धान का लावा रूपी खजाना श्रद्धालुओं को मंदिर प्रबंधन की ओर से
मिलेगा। दरबार में दर्शन पूजन की तैयारियों को अन्तिम रूप सोमवार को दिया
गया।
मंदिर प्रबंधन और प्रशासनिक अफसरों ने श्रद्धालुओं के भीड़
नियंत्रण के लिए सुरक्षा व्यवस्था का खाका तैयार किया है। मंदिर में
उमड़ने वाली लाखों की भीड़ की सुरक्षा, मंदिर में अस्थाई सीढ़ियां,
प्रवेश-निकास और बैरिकेडिंग आदि की व्यवस्था को अंन्तिम रूप दे दिया गया
है। मंदिर और आसपास के क्षेत्रों में भी सुरक्षा बढ़ाई गई है। सुरक्षा
तैयारियों के साथ मंदिर में अन्नकूट महोत्सव की भी तैयारियां चल रही है।
अन्नकूट महोत्सव में चढ़ने वाले मिष्ठान्न, नमकीन और लड्डुओं को तैयार करने
के लिए महिलाएं जुट गई हैं। मंदिर में स्वच्छता और भोग के पवित्रता को
लेकर भी मंदिर प्रबंधन सतर्क है।
मंदिर के पीठाधीश्वर शंकर पुरी
महाराज के अनुसार स्वर्णमयी माता अन्नपूर्णा के दर्शन के लिए देश भर से
श्रद्धालु आते हैं। धनतेरस से लगातार पांच दिनों तक भारी भीड़ रहती है।
दर्शन सुबह पांच बजे से शुरू हो जाता है और रात 11 बजे तक चलता है। इस बार
29 अक्टूबर से दो नवंबर तक मां अन्नपूर्णा के स्वर्णमयी स्वरूप के दर्शन
होंगे। इस दौरान पहली बार 30 किलो चांदी, तांबे और पीतल के सिक्के भी
प्रसाद स्वरूप मिलेंगे।
महंत शंकर पुरी ने बताया कि धनतेरस के दिन
निर्धारित समय से एक घंटे पहले ही मंदिर के कपाट खोल दिए जाएंगे। पांच
दिनों तक श्रद्धालु मां अन्नपूर्णा, मां भूमि देवी, महालक्ष्मी और महादेव
के रजत विग्रह के दर्शन कर सकेंगे। धनतेरस पर इस बार बहुत ही शुभ योग
निर्मित हो रहा है। देश में समृद्धि रहेगी और कोष भरा रहेगा।
आधी रात से ही अन्नपूर्णेश्वरी के दरबार में श्रद्धालु कतारबद्ध होंगे
सोमवार
आधी रात से ही मां अन्नपूर्णेश्वरी का आर्शिवाद और खजाना पाने की लालसा
लेकर श्रद्धालु मंदिर परिक्षेत्र में कतारबद्ध होंने लगेंगे। श्रद्धालु
महिलाओं की कतार देर शाम तक ही एक किमी से अधिक दूरी तक लग जाएगी। मंगलवार
भोर में अन्नपूर्णा मंदिर के प्रथम तल पर स्थित गर्भगृह में स्वर्णमयी मां
अन्नपूर्णा के विग्रह को विराजमान कराकर विधिवत सुगंधित फूल-मालाओं,
स्वर्णआभूषणों से विधिवत श्रृंगार होगा। भोर में लगभग चार बजे मंदिर के
महंत शंकर पुरी भोग लगाने के बाद मंगला आरती करेंगे। इस दौरान मंदिर में
खजाने का पूजन भी किया जाएगा।
वर्ष में चार दिन ही मिलता है स्वर्णमयी अन्नपूर्णा के दर्शन का सौभाग्य, इस बार मिलेगा पांच दिन
माता
अन्नपूर्णा का दर्शन तो श्रद्धालुओं को प्रतिदिन मिलता हैं लेकिन, खास
स्वर्णमयी प्रतिमा का दर्शन वर्ष में सिर्फ चार दिन धनतेरस पर्व से अन्नकूट
तक ही मिलता है। खास बात यह है कि इस बार श्रद्धालुओं को पांच दिन तक
दर्शन का सौभाग्य मिलेगा। मां की दपदप करती ममतामयी ठोस स्वर्ण प्रतिमा
कमलासन पर विराजमान और रजत शिल्प में ढले काशीपुराधिपति की झोली में
अन्नदान की मुद्रा में हैं। दायीं ओर मां लक्ष्मी और बायीं तरफ भूदेवी का
स्वर्ण विग्रह है। काशी में मान्यता है कि जगत के पालन हार काशी पुराधिपति
बाबा विश्वनाथ याचक के भाव से खड़े रहते हैं। बाबा अपनी नगरी के पोषण के
लिए मां की कृपा पर आश्रित हैं। माता के दरबार में धान का लावा-बताशा और
पचास पैसे के सिक्के खजाना के रूप में वितरण की परम्परा है। इसे घर के अन्न
भंडार में रखने से विश्वास है कि वर्ष पर्यन्त धन धान्य की कमी नहीं होती।
इसी विश्वास से लाखों श्रद्धालु दरबार में आते हैं। माना जाता है कि बाबा
विश्वनाथ से पहले ही देवी अन्नपूर्णा यहां विराजमान थीं। वर्ष 1775 में
काशी विश्वनाथ मंदिर का निर्माण शुरू हुआ तब पार्श्व में देवी अन्नपूर्णा
का मंदिर था। मां की स्वर्णमयी प्रतिमा की प्राचीनता का उल्लेख भीष्म पुराण
में भी है।