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नवेली थर्मल पावर प्लांट में अगले माह से होगा बिजली का उत्पादन


हमीरपुर हमीरपुर सीमा में यमुना पुल पार अरबों रुपये की लागत की नवेली थर्मल पावर प्लांट की यूनिटों में अब जल्द ही बिजली बनेगी। इसके लिए यहां तैयारी भी कर ली गई है। अगले माह तक प्लांट में लगी एक यूनिट को चालू कराने के लिए अब कवायद भी चल रही है। अगले साल इस पावर प्लांट से बिजली असम को देने के लिए करार भी हो गया है।

हमीरपुर के यमुना पुल पार लहुरीमऊ गांव में पिछले कई सालों से नवेली थर्मल पावर प्लांट का निर्माण चल रहा है। यहां काफी बड़े क्षेत्रफल में पावर प्लांट की तीन यूनिटें बनकर तैयार हो गई है। कोल आधारित थर्मल पावर प्लांट के निर्माण के लिए कार्यदायी संस्था नवेली पावर लिमिटेड को जिम्मेदारी दी गई थी। इसका निर्माण कार्य भी वर्ष 2016 से शुरू कराया गया था। इस पावर प्लांट की लागत 17237 करोड़ रुपये है। कार्यदायी संस्था के मुताबिक थर्मल पावर प्लांट को जमीन पर लाने के लिए आधा दर्जन से अधिक गांवों की ग्यारह सौ हेक्टेयर भूमि अधिग्रहीत की गई थी। प्लांट तैयार होने से दर्जनों गांवों के लोगों में खुशी देखी जा रही है। हमीरपुर सीमा से जुड़े दर्जनों गांवों में कुछ दशक पहले बिजली की भारी किल्लत थी लेकिन पावर प्लांट बन जाने से अब पूरे क्षेत्र के गांवों की तस्वीर ही बदल जाएगी। लहुरीमऊ गांव के रिकूं समेत तमाम ग्रामीणों का कहना है कि डेढ़ दशक पहले लहुरीमऊ, बांध, बरीपाल, सिधौल, बीबीपुर, हरदौली और रामपुर समेत दर्जनों गांवों में बिजली की भारी संकट था। चौबीस घंटे में छह घंटे भी बिजली लोगों को नही मिल पाती थी। लेकिन अब गांव बिजली से रोशन होंगे।

थर्मल पावर प्लांट में लगाई गई सुपर क्रिटिकल तीन यूनिटें

थर्मल पावर प्लांट के डीजीएम एचआर एनयूपीपीएल वेंकट स्वामी ने बताया कि उन्नीस सौ अस्सी मेगावाट क्षमता के कोल आधारित पावर प्लांट 17237 करोड़ रुपये लागत से तैयार हुआ है। जिसमें बिजली उत्पादन के लिए कोल फायरिंग टेस्टिंग चल रही है। बताया कि कोल फायरिंग टेस्ट भी सफल हो गया है। बताया कि छह सौ साठ मेगावाट की सुपर क्रिटिकल तीन यूनिटें भी लगाई गई है। अब जल्द ही शेष कार्यों को कंपलीट कराने में कार्यदायी संस्था जुटी है।

बिजली उत्पादन के लिए अगले माह चालू होगी होगी यूनिट

एचआर एनयूपीपीएल डीजीएम वेंकेट स्वामी ने बताया कि प्लांट में छह सौ साठ मेगावाट क्षमता की तीन क्रिटिकल यूनिटें लगाई गई है। पहली यूनिट से कुछ महीने पहले डीजल से प्लांट चलाकर बिजली का उत्पादन किया गया था। फाइनल परीक्षण कोयला से कराया गया है। अगले माह एक यूनिट से बिजली उत्पादन की तैयारी पूरी कर ली गई है। इसके बाद अगले साल छह-छह महीने के अंतराल में शेष दोनों यूनिटों में बिजली का उत्पादन होने लगेगा।