हमीरपुर। हमीरपुर जिले का राठ नगर किसी जमाने में विराट नगरी
के नाम से प्रसिद्ध था। यहां महाभारत काल की तमाम धरोहरें आज भी सदियों
पुराने इतिहास को संजोएं है। महाराजा विराट ने अपनी बेटी उत्तरा के नाम से
एक भव्य मंदिर बनवाया था जहां मंदिर के पास ही तालाब में अज्ञातवास के
दौरान राजकुमारी उत्तरा ने अर्जुन से नृत्य की शिक्षा ली थी। महाराजा ने
जनता का दुख दर्द सुनने के लिए बारह खंभा भवन बनवाया था, जहां व उनका दरबार
भी लगता था। सदियों बीतने के बाद अब ये धरोहरें बदहाल हो रही है।
हमीरपुर
से 85 किमी दूर दक्षिण दिशा में राठ नगर स्थित है जो महाभारत काल में
महाराजा विराट की राजधानी थी। उन्हीं के नाम से यह नगर विराट नगर जाना जाता
रहा है। 12 बरस के अज्ञातवास में युधिष्ठर, भीम, अर्जुन नकुल व सहदेव ने
यहां आये थे। जाने माने इतिहासकार राकेश त्रिपाठी के मुताबिक अज्ञातवास
बिताने के लिये पांच पाण्डवों ने महाराज विराट की नगरी राठ को ही चुना था।
समाजसेवी केके गुप्ता ने बताया कि पाण्डवों ने अपने सभी शस्त्र नगर के बाहर
एक विशाल वृक्ष पर छिपा दिये थे। युधिष्ठर राजा विराट के सभासद व भीम
रसोईयां बने थे। नकुल घुड़साल की देखरेख करते थे वहीं सहदेव महाराजा की
गायों की सेवा करते थे। अर्जुन बृहन्नला बनकर नृत्य करते थे। बताते हैं कि
अर्जुन महाराज विराट की बेटी उत्तरा को नृत्य सिखाते थे। पांचों पाण्डवों
की मां द्रोपदी को महारानी की दासी बनना पड़ा था। हाल में ही रिटायर्ड
क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी एसके दुबे ने बताया कि राठ नगर में तमाम
एतिहासिक धरोहरें है जो महाभारत कालीन है। बताया कि इनके संरक्षण के लिए
कोई योजना नहीं बनी है।
महाराज विराट ने बेटी के लिए बनवाया था चौपेश्वर मंदिर
राठ
बस स्टैण्ड से 1.8 किमी दूर नगर से पूर्व की ओर एक प्राचीन मंदिर है जो
चौपेश्वर मंदिर है। जिसमें भगवान शंकर का भव्य शिवलिंग स्थापित है ये किसी
जमाने में चौपेश्वर महाराजा के नाम से सुविख्यात था। इस प्राचीन मंदिर में
ही हनुमानजी, रामलला व भगवान गणेश जी के भी मंदिर है। जहां महाराजा
प्रतिदिन पूजा करने जाते थे। महाराजा विराट ने अपनी बेटी उत्तरा के देव
पूजन के लिये इस मंदिर का निर्माण कराकर शिवलिंग की स्थापना करायी थी।
महाराजा की पुत्री राजकुमारी उत्तरा इसी मंदिर में शिवलिंग की पूजा अर्चना
करती थी।
चौपरा तालाब में राजकुमारी ने ली थी नृत्य की शिक्षा
चौपेश्वर
मंदिर से लगा हुआ एक प्राचीन तालाब है जिसे चौपरा तालाब के नाम से जाना
जाता है। यह तालाब भी महाभारत कालीन है। इस तालाब के बारे में बताया जाता
है कि अज्ञातवास में अर्जुन ने राजकुमारी उत्तरा को इसी तालाब के तट पर
नृत्य की शिक्षा दी थी। यह तालाब आज भी महाभारत काल की गाथा संजोये है।
उदासीनता के कारण तालाब के चारों ओर अतिक्रमण हो गया है। इसे बचाने के लिए
भी कोई योजना आज तक तैयार नहीं कराई जा सकी।
बारह खंभा में महाराजा विराट का लगता था दरबार
राठ
में पश्चिम दिशा की ओर नर्सरी परिसर में बारह खंभों का एक आयताकार बरामदा
जैसा भवन है साथ ही मझगवां रोड में भी बारह खंभों का आयताकार बरामदा बना
है। इसे बारह खंभा चौराहा भी कहते हैं। यहीं पर महाराजा विराट का दरबार
लगता था और वह अपने प्रजा की समस्यायें निस्तारित करते थे। पत्थरों को
काटकर बारह खंभे निर्मित किये गये और पत्थरों से ही इन खंभों को आपस में
जोड़ा गया है। खास बात तो यह है कि आयताकार बारह खंभा के निर्माण में न तो
सीमेंट का इस्तेमाल किया गया और न ही गारा का प्रयोग किया गया है।