पूर्वी
चंपारण। जिले में परसौनी कृषि विज्ञान केंद्र के मृदा
विशेषज्ञ डॉ आशीष राय ने कृषक गोष्ठी को संबोधित करते हुए बताया कि
माइकोराजा के प्रयोग से किसी फसल का पौधा की जड़ों का सतह क्षेत्र में
वृद्धि होती है। खेतों में संतुलित एकीकृत पोषक तत्व प्रबंधन के तहत व
मिट्टी के स्वास्थ्य को सुधारने के लिए किसानो को पर्यावरणीय अनुकूल
अर्बस्कुलर माइकोराइजल फंगस का प्रयोग करना चाहिए।
डॉ आशीष ने कहा
कि यह मिट्टी में क्रियाशील होकर पौधों के जड़ों की कोशिकाओं में प्रवेश
कर एक रेशेदार सहजीवी संबंध बनाता हैं। जिसके परिणाम स्वरूप पौधा मिट्टी से
आवश्यक पोषक तत्वों का अवशोषण कर तेजी से में वृद्धि करता है। उन्होंने
बताया कि माइकोराइजा कवक प्राकृतिक और पर्यावरण के अनुकूल है। इससे पौधों
की जड़े तेजी से अवशोषित करता है। इसके प्रयोग से मिट्टी में फास्फोरस,
पोटाश, नाइट्रोजन, कार्बन, जिंक एवं अन्य सूक्ष्म पोषक तत्वों की उपलब्धता
बढ़ता है। साथ ही निमेटोड एवं मृदा जनित रोग से बचने का प्रतिरोधक क्षमता
प्रदान करता है।
डॉ आशीष ने कहा कि पानी की कमी होने पर भी पौधों
को सहनशीलता प्रदान करता है।पौधे को जड़ो को लंबी गहरी और तेजी से फैलाता
है।जिससे फसल की वृद्धि और उपज की बढ़ोतरी में सहायता मिलती है।उन्होने
बताया कि माइकोराइजा के प्रयोग से अनाज व फलों की गुणवत्ता में भी सुधार
देखा गया है,साथ ही बीज शक्ति और अंकुरण के सुधार में वृद्धि दर्ज की गई
है। वहीं पौधों की रोपाई के समय मृत्यु दर में काफी कमी होता पाया गया है।
मौके
पर केन्द्र के वैज्ञानिक डॉ.अंशु गंगवार ने बताया कि माईकोराईजा का प्रयोग
सभी फसलों में कर सकते हैं,जैसे गन्ना, मिर्च, प्याज, टमाटर, गेहूं, चावल,
मक्का एवं अन्य अनाज की फसले,सभी प्रकार की दालों एवं तिलहन, मसाले वाली
फसलें अन्य वृक्षारोपण वाली फसलें, फूलों एवं बागवानी वाली फसलें, आलू व
सब्जियों इत्यादि के लिए भी उपयुक्त है।
कैसे करे माईकोराईजा का प्रयोग
भूमि
की पहली जुताई या नर्सरी बेड की तैयारी के समय मिट्टी, कंपोस्ट या जैविक
खाद के साथ मिलाकर भूमि पर बिखेर दें।खड़ी फसल में पौधों के जड़ के पास
कुंड बनाकर या बंड एप्लीकेशन (एक सीधी रेखा में) या निड़ाई/ गुड़ाई के समय
रासायनिक खाद/फर्टिलाइजर/मिट्टी जैविक खाद के साथ मिलाकर बिखेर दें।अनाज
वर्गीय फसलों के लिए पहली खुराक बिजाई के समय दूसरी खुराक बुवाई/रोपाई के
35-40 दिन बाद 4 किलो प्रति एकड़ देना चाहिए। सब्जियों के लिए वानस्पतिक,
फूल आने से पहले और फल लगने की अवस्था में 4 किलो प्रति एकड़,फलदार वृक्षों
के लिए किसी भी अवस्था में 200-250 ग्राम प्रति वृक्ष देना चाहिए नर्सरी
के लिए बीज बोने से ठीक पहले नर्सरी के 400 वर्ग मीटर क्षेत्र के लिए
300-500 ग्राम देना चाहिए वही शहरी बागवानी के लिए प्रति गमला 25-50 ग्राम
माइकोराइजा प्रयोग मिट्टी और पौधे की स्वास्थ के लिए उत्तम माना गया है।