काठमांडू: नेपाल सरकार के संस्कृति, पर्यटन तथा नागरिक उड्डयन
मंत्रालयने हिमालय को स्वच्छ बनाए रखने के लिए स्वच्छता अभियान शुरू करते
हुए पंचवर्षीय योजना घोषित की है। यह योजना पर्वतों की सामर्थ्य या वहन
क्षमता के आधार पर पर्वतारोहियों की संख्या और चढ़ाई का समय तय करेगी।
मंत्रालय
का कहना है कि पर्वतारोहण के शुरुआती चरणों में पर्वतारोहियों ने कचरा
प्रबंधन पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया, जिससे हिमालय में कचरा जमा होता गया।
अत्यधिक ठंड के कारण यह कचरा वर्षों तक जस का तस बना रहता है और आज भी
पर्वतारोहियों को कचरे पर कदम रखते हुए पर्वत चढ़ने की मजबूरी है।
नेपाल में हिमालय स्वच्छता अभियान शुरू, पर्वतारोहियों के लिए पंचवर्षीय योजना
अब पर्वतारोहण के लिए मांग के अनुसार असीमित अनुमति नहीं दी जाएगी।
वर्तमान में सर्वोच्च शिखर सगरमाथा सहित अन्य पर्वतों पर अत्यधिक संख्या
में अनुमति दिए जाने से समग्र व्यवस्थाओं में समस्या आने की शिकायतें मिल
रही हैं।
इन जोखिमों को कम करने के लिए सरकार ने कचरा प्रबंधन में सख्ती,
जमानत प्रणाली में सुधार, प्रौद्योगिकी के अधिक उपयोग, मानव संसाधन विकास
को प्राथमिकता देने तथा कचरा निष्कासन पर कड़ाई जैसे कार्यक्रमों को समेटते
हुए नई कार्ययोजना (2025/2030) घोषित की है।
आंकड़ों के अनुसार
नेपाल भर में 5,358 झीलें और 2,232 हिमताल हैं। 6,000 मीटर से ऊपर के
1,310 शिखर नेपाल में हैं। हालांकि, पर्वतारोहियों की संख्या बढ़ने के साथ
स्थानीय पर्यावरण, जैव विविधता, प्रदूषण और कचरा उत्सर्जन जैसी चुनौतियां
भी बढ़ती जा रही हैं।
मंत्रालय के अनुसार, यदि मौजूदा दर से तापमान बढ़ता
रहा तो इसी शताब्दी के भीतर 36 प्रतिशत तक और यदि कार्बन उत्सर्जन वर्तमान
स्तर पर ही बना रहा तो 64 प्रतिशत तक बर्फ पिघलने का जोखिम है।
