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हाई कोर्ट ने न्यायमूर्ति अमृता सिन्हा को केस आवंटन पर सवाल उठाने वाली याचिका पर सुनवाई से किया इनकार




कोलकाता,। कलकत्ता उच्च न्यायालय की अवकाशकालीन खंडपीठ ने न्यायमूर्ति अमृता सिन्हा को केस आवंटन पर सवाल उठाने वाली जनहित याचिका पर सुनवाई करने से गुरुवार को इनकार कर दिया।

कलकत्ता उच्च न्यायालय के "मास्टर ऑफ रोस्टर" में न्यायमूर्ति सिन्हा को "पुलिस निष्क्रियता" या ''पुलिस अति-कार्रवाई'' से संबंधित मामलों की सुनवाई करने के लिए आवंटित किया गया था। उन्हें नौ जून को न्यायालय की ग्रीष्मकालीन छुट्टी के बाद कलकत्ता उच्च न्यायालय के सामान्य सत्र के फिर से शुरू होने के बाद इस आवंटित केस विषय पर मामलों की सुनवाई करनी थी।



लेकिन इस बीच, न्यायमूर्ति कौशिक चंदा और न्यायमूर्ति अपूर्व सिन्हा रे की अवकाशकालीन खंडपीठ में एक जनहित याचिका दायर की गई, जिसमें पुलिस मामलों से संबंधित ऐसे संवेदनशील मामलों को संभालने में न्यायमूर्ति सिन्हा की निष्पक्षता पर सवाल उठाया गया।

गुरुवार दोपहर उक्त अवकाशकालीन खंडपीठ में मामला सुनवाई के लिए आया। पीठ ने तुरंत जनहित याचिका पर सुनवाई न करने का फैसला किया और इसे मुख्य न्यायाधीश टी.एस. शिवगणनम और न्यायमूर्ति हिरण्मय भट्टाचार्य की नियमित खंडपीठ को वापस भेज दिया। ये खंडपीठ अदालत के नियमित सत्र के दौरान जनहित याचिका के मामलों की सुनवाई करती है।



राज्य के कानूनी हलकों का मानना है कि इस तरह की जनहित याचिका अभूतपूर्व है, जहां एक न्यायाधीश की निष्पक्षता पर सवाल उठाया जाता है, जबकि वह अपने नए आवंटित मामलों के विषयों पर सुनवाई शुरू भी नहीं की थीं।