नई
दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को अपने
मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में देशवासियों से दवाओं के उपयोग में
सावधानी बरतने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि दवा लेने से पहले उचित
गाइडेंस लेना और एंटीबायोटिक के सेवन के लिए डॉक्टर की सलाह अवश्य लेनी
चाहिए।
(लीड) ‘मन की बात’ में प्रधानमंत्री की सलाह, मनमर्जी से ना लें दवा
उन्होंने कहा कि साल 2025 में आस्था, संस्कृति और भारत
की आध्यात्मिक विरासत एक साथ दिखाई दी। वर्ष की शुरुआत प्रयागराज के कुंभ
से हुई और अंत अयोध्या में राम मंदिर के ध्वजारोहण कार्यक्रम के साथ हुआ,
जिसने हर भारतीय को गर्व से भर दिया। प्रधानमंत्री ने युवाओं के देश
के लिए कुछ करने के जज्बे को सलाम किया और कहा कि आज के युवा विभिन्न
माध्यमों से राष्ट्र निर्माण में योगदान देना चाहते हैं। इस संदर्भ में
उन्होंने बताया कि 12 जनवरी को स्वामी विवेकानंद की जयंती पर ‘यंग लीडर
डायलॉग’ का आयोजन किया जाएगा, जिसमें वे स्वयं भी भाग लेंगे।
उन्होंने
कहा कि भारत के युवाओं में हमेशा कुछ नया करने का जुनून रहता है और वे
उतने ही जागरूक भी हैं। इस क्रम में उन्होंने हाल ही में संपन्न हुए
स्मार्ट इंडिया हैकाथॉन का उल्लेख किया, जिसमें छात्रों ने जीवन से जुड़ी
वास्तविक चुनौतियों के समाधान की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दिया। भविष्य
को लेकर तकनीक से जुड़ी चिंताओं पर प्रधानमंत्री ने कहा कि मानव विकास के
लिए अपनी जड़ों से जुड़े रहना!
अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने इस संदर्भ में
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस में चल रहे ‘गीतांजलि’ जैसे संस्कृत प्रयास का
उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि आज विश्वस्तरीय शोध के साथ एक छोटी-सी
संगीत कक्षा से शुरू हुआ यह प्रयास कैंपस का संस्कृत हृदय बन गया है। इसी
क्रम में उन्होंने दुबई में बच्चों के लिए चल रही कन्नड़ भाषा की कक्षाओं
का भी उल्लेख किया।
प्रधानमंत्री ने मणिपुर के लोगों से जुड़े कई
ऐसे प्रयासों का जिक्र किया, जो लोगों की जिंदगी में सकारात्मक बदलाव ला
रहे हैं।
उन्होंनेकहा कि ‘जहां चाह, वहां राह’ कहावत को मणिपुर के युवा
मोइरांगथेम सेठ जी ने साकार कर दिखाया है। 40 वर्ष से कम उम्र में उन्होंने
अपने दूरस्थ क्षेत्र में बिजली की समस्या का स्थानीय समाधान खोजते हुए
सोलर पावर को अपनाया और आत्मनिर्भरता की मिसाल पेश की। वहीं, सेनापति जिले
की चोखोने क्रिचेना जी ने पारंपरिक खेती के अनुभव को आगे बढ़ाते हुए फूलों
की खेती को अपना जुनून बनाया। आज वे अपने उत्पादों को विभिन्न बाजारों से
जोड़कर स्थानीय समुदायों को सशक्त कर रही हैं और मणिपुर के लिए प्रेरणा बन
चुकी हैं।





