दुमका, । झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन के निधन पर सोमवार को पूरे क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई। अलग झारखंड आंदोलन में क्षेत्र में उनको जमकर समर्थन मिला करता था। यहां के कई आंदोलनकारियों को जेल तक जाना पड़ा था।
झारखंड आंदोलन के दौरान अक्सर हंसडीहा में रुकते थे शिबू सोरेन

दिशोम गुरु का हंसडीहा से विशेष लगाव था। अलग राज्य आंदोलन के दौरान वे अक्सर अपनी एंबेसडर कार से हंसडीहा आते थे। हंसडीहा में स्ट्रीट फूड घुघनी मूढ़ी उन्हें खूब पसंद था। जब भी वे यहां आते या इधर से गुजरते तो रुककर अपने साथ चल रहे सहयोगी से ठेले से घुघनी मूढ़ी लाने को कहते थे।
आंदोलन के दिनों में न तो मोबाइल फोन था और न ही सभी जगहों पर टेलीफोन की सुविधा थी। 80-90 के दशक में गुरुजी लोगों से मिलने के लिए यहां के डाक बंगला में रुकते थे और दुमका, गोड्डा, बांका के कई तहसीलों के कार्यकर्ताओं के साथ बैठक कर रणनीति बनाते थे। क्षेत्र के लगभर हर गांव से वे परिचित थे और गांव के लोग उनसे अपनी समस्याएं साझा करते थे।
कभी कभी तो वे दुमका स्थित आवास से हंसडीहा सिर्फ मूढ़ी घुघनी खाने पहुंच जाते थे। आंदोलन के समय उनके साथ काम कर चुके लोग बताते हैं कि वे शिबू सोरेन गांवों में जाकर नशा मुक्ति की बात कहते थे।