इसीएल के निदेशक नीलाद्री राय ने बताया कि इस वर्ष लगभग छह महीने तक बारिश होने से देशभर के पावर प्लांट्स की बिजली मांग कम हो गई।
नियमों
के अनुसार मानसून के दौरान पावर प्लांट्स के पास कम से कम 10 दिन का कोयला
स्टॉक होना चाहिए, लेकिन इस समय उनके पास एक महीने से भी अधिक कोयला
उपलब्ध है।
आसनसोल। आसनसोल स्थित कोल इंडिया की अनुसांगिक कंपनी ईस्टर्न
कोलफील्ड्स लिमिटेड (इसीएल) गंभीर वित्तीय संकट से गुजर रही है. नतीजतन,
कर्मचारियों को वेतन समय पर नहीं मिल पा रहा है. अक्टूबर महीने का वेतन कई
दिनों की देरी के बाद नवंबर में मिला, जबकि नवंबर का वेतन अब तक जारी नहीं
हुआ है।
सूत्रों के अनुसार इसीएल द्वारा बेचे गए कोयले का खरीदारों
पर लगभग दो हजार करोड़ रुपये का बकाया है, जिसके चलते आर्थिक स्थिति बिगड़
गई है। इसीएल के निदेशक नीलाद्री राय के अनुसार 2000 करोड़ की बकाया राशि
में से 500 करोड़ रुपए केवल डीवीसी पर बकाया है, इसी कारण वेतन भुगतान
प्रभावित हो रहा है। कंपनी की 73 कोलरियों में करीब 45 हजार स्थाई कर्मचारी
कार्यरत हैं। अधिकारी फिलहाल स्पष्ट रूप से यह बताने की स्थिति में नहीं
हैं कि नवंबर का वेतन कब मिलेगा।
उल्लेखनीय है कि इसीएल प्रतिदिन
औसतन 1.80 लाख टन से 2 लाख टन कोयला उत्पादन करता है, लेकिन हाल में
ट्रांसपोर्टेशन घटकर मात्र 1.20 लाख टन रह गया है। विभिन्न डीपो और रेल
साइडिंग पर लगभग 6.5 लाख टन कोयला स्टॉक के रूप में पड़ा है, जिससे अधिक
मात्रा में कोयला भंडारण के कारण आग लगने का खतरा भी बढ़ा है।
भारतीय मजदूर संघ से जुड़े
जयंत चौबे ने बताया कि विदेश से कोयला आयात किए जाने पर वह सस्ता पड़ रहा
है और दूसरी तरफ निजीकरण के बाद खदानें बिजली कंपनियों को देने से वे अपनी
आवश्यकतानुसार कोयला उपयोग कर शेष को बाजार में बेच देती हैं।
कमर्शियल
माइनिंग के चलते सस्ता कोयला उपलब्ध होने से कंपनियां इसीएल का कोयला लेने
में रुचि नहीं दिखा रही हैं। उन्होंने कहा कि डीवीसी ने शीघ्र भुगतान करने
का आश्वासन दिया है और भुगतान मिलते ही कर्मचारियों का वेतन जारी कर दिया
जाएगा। इस मुद्दे को लेकर 8 दिसंबर को कॉर्पोरेट जेसीसी बैठक प्रस्तावित
है।

