नई
दिल्ली। भारतीय सेना ने अयोध्या से अपनी फायरिंग रेंज
हटाने का फैसला लिया है, क्योंकि यह नए हवाई अड्डे के उड़ान मार्ग में है।
इसके अलावा सेना चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा पर पूर्वोत्तर के
अग्रिम क्षेत्रों में फायरिंग रेंज बढ़ाने की तैयारी में है, ताकि वास्तविक
नियंत्रण रेखा पर तैनात बलों को युद्ध के लिए तैयार रखा जा सके। एक अन्य
फैसले में देश की 58 छावनियों में से 10 को खत्म करने के लिए चिह्नित किया
गया है।
भारतीय सेना के पास अभी तक अभ्यास के लिए देश भर में 24
अधिसूचित फायरिंग रेंज हैं। इनमें से छह जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में हैं,
जहां पड़ोसी चीन और पाकिस्तान के साथ लगातार संघर्ष क्षेत्र बना हुआ है। अब
भारतीय सेना पूर्वोत्तर क्षेत्र में फायरिंग रेंज का विस्तार कर रही है,
ताकि चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तैनात अपने बलों को युद्ध के
लिए तैयार रखा जा सके। अरुणाचल प्रदेश सरकार ने पिछले साल सेना को मंडला और
कमराला में जमीन के दो टुकड़े सौंपने का फैसला किया था। ये दोनों तवांग
में यांग्त्से के करीब हैं। इसी के करीब तवांग में 9 दिसंबर, 2022 को चीनी
पीएलए ने घुसपैठ करने की कोशिश की थी, जिस पर टकराव भी हुआ था। लगभग 10
हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित इन दोनों जगहों पर सेना की फायरिंग रेंज का
निर्माण किया जाएगा।
अयोध्या विकास प्राधिकरण ने फायरिंग अभ्यास के
लिए इस्तेमाल की जाने वाली भूमि को गैर-अधिसूचित कर दिया है, जिसके बाद
सेना की इस जमीन का अधिग्रहण कई हाई-प्रोफाइल औद्योगिक घरानों ने किया है।
इसके बाद सेना ने अयोध्या में अपनी फायरिंग रेंज को स्थानांतरित करने का
फैसला लिया है। इसके पीछे बताया गया है कि नए हवाई अड्डे के उड़ान मार्ग
में टकराव से बचने के लिए अयोध्या में सेना की फायरिंग रेंज को
गैर-अधिसूचित किया गया है। हालांकि, सेना इस फायरिंग रेंज का उपयोग करना
जारी रखती है लेकिन भारतीय सेना के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि अयोध्या में
हवाई अड्डा बनने के बाद से इस भूमि का उपयोग युद्धाभ्यास, फील्ड और
आर्टिलरी फायरिंग के लिए करना सुरक्षित नहीं रहा है।
रक्षा मंत्रालय
के अनुसार सेना की देश भर में फैली 58 छावनियों में से 10 को खत्म करने के
लिए चिह्नित किया गया है। इन छावनियों को नागरिक क्षेत्रों से हटाकर
उन्हें आस-पास की नगरपालिकाओं में मिला दिया जाएगा। खत्म की जाने वाली 10
छावनियों में अजमेर, बबीना, क्लेमेंटाउन, देवलाली, देहरादून, फतेहगढ़,
नसीराबाद, मथुरा, रामगढ़ और शाहजहांपुर हैं। मंत्रालय का कहना है कि
छावनियों को हटाने का कारण उन्हें आस-पास के नगरपालिका क्षेत्रों को
नियंत्रित करने वाले नगरपालिका कानूनों में एकरूपता लाना है। इस बावत
मंत्रालय ने पिछले साल संसद को सूचित किया था। हिमाचल प्रदेश में योल छावनी
को पहले ही 27 अप्रैल, 2023 से खत्म कर दिया गया
है।--------------------------------------