खूंटी,। जनजातियों के लिए सुरक्षित खूंटी संसदीय क्षेत्र में
लोकतंत्र का सबसे बड़ा पर्व 13 मई को संपन्न हो गया। चुनाव परिणाम तो वैसे
चार जून को आयेगा, लेकिन परिणाम को लेकर भविष्यवाणी करनेवाले सैकड़ों
तथाकथित जानकार अपनी-अपनी गणित के सहारे हार-जीत की गणना करने लगे हैं और
कौन विजयी होगा और किसे मुंह की खानी पड़ेगी, यह तो वक्त ही बताएगा,पर इतना
तो तय है कि इस संसदीय सीट पर मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के दो
मुंडाओं के बीच ही है। मतदान के दौरान ही अन्य उम्मीदवार चुनावी दौड़ से
बाहर जाते दिखे। चार जून को ही पता लगेगा की अर्जुन मुंडा अपने पुराने
प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के कालीचरण मुंडा को मात देकर भाजपा के इस किले को
सुरक्षित रख पाते हैं या कालीचरण मुंडा लगातार तीन हार के बाद जीत का स्वाद
चख पायेंगे।
राजनीति पर पकड़ रखने वालों की बातों पर भरोस करें, तो
तोरपा, खूंटी और कोलेबिरा विधानसभा क्षेत्र में जहां कांग्रेस के कालीचरण
मुंडा को बढ़त मिल सकती है, वहीं सिमडेगा और खरसावां विधानसभा क्षेत्र में
भाजपा के अर्जुन मुंडा कांग्रेस पर बढ़त बनाते दिख रहे हैं। तमाड़ क्षेत्र
में दोनों उम्मीदवारों के बीच नेक टू नेक फाइट की उम्मीद राजनीति के जानकार
जताते हैं। तमाड़ क्षेत्र कें लोगों का कहना है कि इस बार कुर्मी समुदाय का
वोट भी कांग्रेस को मिल सकता है, जबकि इस समुदाय को भाजपा और आजसू का
समर्थक माना जाता है। तोरपा और अन्य इलाकों में भी कांग्रेस को अच्छा खासा
वोट मिलने की संभावना जानकार बता रहे हैं।
कांग्रेस पार्टी भाजपा
के परपंरागत वोटर सरना समाज में भी सेंधमारी करने में सफल दिख रही है।
कांग्रेस क इस दुष्प्रचार की काट भाजपा नहीं निकाल सकी, जिसमें संविधान
बदलने, सीएनटी एक्ट खत्म करने, संविधान बदलने, आरक्षण खत्म करने की बात कही
गई है। कांग्रेस आदिवासी मतदाताओं को इस बात को लेकर अपने पाले में सफल
रही कि कांग्रेस सत्ता में आई तो सरना कोड को लागू करेगी और संविधान और
आरक्षण को सुरक्षित रखेगी। आमतौर पर जनजातीय समुदाय अपनी जमीन से भावनात्मक
रूप से जुड़ा रहता है और उन्हें इस बात का भय दिखाया गया कि नरेंद्र मोदी
तीसरी बार प्रधानमंत्री बने, तो सीएनटी एक्ट को खत्म कर आदिवासियों को जमीन
लूट लेगी, लेकिन भाजपा के नेता और कायकर्ता इस दुष्प्रचार को रोकने में
नाकामयाब रहे। यही कारण है कि सरना समुदाय का भी अच्छा खासा वोट कांग्रेस
को मिलने की संभावना जानकार जता रहे हैं।
बूथ मैनेजमेंट में दिखा भाजपा का खराब प्रबंधन
लोकसभा
चुनाव के लिए मतदान के दौरान बूथ मैनेजमेंट में भाजपा की नाकामयाबी साफ
दिखी। दर्जनों ऐसे मतदान केंद्र ऐसे थे, जहां भाजपा का कोई एजेंट तक नहहीं
था। बूथ मैनेजमेंट को लेकर जमीनी स्तर पर जुड़े कार्यकर्ताओं में भी नाराजगी
दिखी। कुछ कार्यकर्ताओं ने कहा कि भाजपा में निचले स्तर के कार्यकर्ताओं
की कोई पूछ नहीं है। अब इस पार्टी में कार्यकर्ता कम और नेता अधिक हो गये
हैं।
नहीं चला बबीता कच्छप का जादू
असंवैधानिक
पत्थलगड़ी को लेकर सूर्खियों में आई आदिवासी विकास पार्टी का इस संसददीय
चुनाव में कोई असर नहीं दिखा। पत्थलगड़ी से प्रभावित रहे अड़की और मुरहू
प्रखंड के कुछ इलाकों में ही बबीता कच्छप को वोट मिलने की संभावना लोग जता
रहे हैं। अन्य क्षेत्रो के अधिकतर बूथों में इस पार्टी न कोई बूथ ऐजेंट
नजर आया और न ही कार्यकर्ता
झारखंड पार्टी ने नहीं दिखाई रुचि
लोकसभा
चुनाव प्रचार के दौरान राजनीति के जानकार उम्मीद जता रहे थे कि इस चुनाव
में एनोस एक्का की झारखंड पार्टी अपनी दमदार उपस्थिति दजे करायेंगे, पर
उनकी गतिविधि सिर्फ कुछ जगहों पर चुनावी कार्यालयखोलने तक ही सीमित रही। न
कहीं कार्यकर्ता दिखे और न नेता। कमोवेश यहा स्थिति झामुमो के पूर्व विधायक
और स्वतंत्र उम्मीवार बसंत कुमार लोंगा, पास्टर संजय तिर्की की रही। बहुजन
समाज पार्टी की सावित्री देवी कुछ जगहों पर रौतिया समाज के वोट में सेंध
मारने में सफल रही। खूंटी संसदीय सीट का चुनाव परिणाम चाहे जो हो,पर इतना
तय है कि यहां एक बार फिर कांग्रेस और भाजपा में रोमांचक मुकाबला देखने का
मिलेगा।