कोलकाता; पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची के स्पेशल इंटेंसिव
रिविजन (एसआईआर) को लेकर सियासी विवाद लगातार बढ़ रहा है। इसी बीच चुनाव
आयोग ने स्पष्ट किया है कि काम सुचारू रूप से चल रहा है और ड्राफ्ट मतदाता
सूची 16 दिसंबर को जारी की जाएगी।
चुनाव आयोग के मुताबिक, सोमवार
शाम तक प्राप्त एन्यूमरेशन फॉर्म के डिजिटाइजेशन के आधार पर अनुमान है कि
ड्राफ्ट सूची से 43.30 लाख नाम हटाए जाएंगे। अधिकारियों के अनुसार,
डिजिटाइजेशन पूरा होने पर यह संख्या और बढ़ सकती है।
सूत्रों के
अनुसार, हटाए जाने वाले नामों में 21.45 लाख मृत मतदाता हैं। लगभग 5.50 लाख
मतदाता ऐसे हैं जिन्हें अब तक चिन्हित नहीं किया जा सका है। करीब 15.10
लाख मतदाता अपने रहने की जगह बदल चुके हैं, जबकि एक लाख से कम मतदाता फर्जी
पाए गए हैं।
चुनाव आयोग के एक अधिकारी ने कहा, “कुछ मतदाता फिलहाल चिन्हित नहीं किया जा सके हैं, लेकिन आगे जांच में उनका पता चल सकता है।”
बता दें कि 27 अक्टूबर तक पश्चिम बंगाल में कुल सात करोड़ 66 लाख 37 हजार 529 पंजीकृत मतदाता थे।
इसी
बीच, सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने एसआईआर के खिलाफ अपना आंदोलन तेज कर
दिया है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी तीन दिसंबर को मालदा, चार दिसंबर को
मुर्शिदाबाद और नौ दिसंबर को कूचबिहार में रैलियां करेंगी। ये जिले
सीमावर्ती होने के साथ-साथ बड़ी संख्या में अल्पसंख्यक, प्रवासी और
विस्थापित आबादी वाले क्षेत्र हैं।
पिछले सप्ताह उन्होंने बनगांव में एक सभा की थी, जो शरणार्थी बहुल मतुआ इलाके में आयोजित की गई थी।
तृणमूल
कांग्रेस का आरोप है कि एसआईआर "पूरी तरह अव्यवस्थित, लापरवाह और अमानवीय"
प्रक्रिया है, जिसके कारण अब तक 40 लोगों की मौत हो चुकी है, जिसमें 17
बूथ लेवल अधिकारियों की भी जान गई है।
शुक्रवार को तृणमूल कांग्रेस
के सांसद डेरेक ओ’ब्रायन के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने दिल्ली में
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार से मुलाकात कर अपनी शिकायतें दर्ज कराईं
थी।