इंदौर,। लोकतांत्रिक प्रणाली के प्रति सच्ची निष्ठा, अदम्य साहस
और कर्तव्य के प्रति समर्पण कैसा होता है, यह उदाहरण मध्य प्रदेश के इंदौर
जिले की सॉफ्टबॉल खिलाड़ी और विक्रम अवार्ड प्राप्त कुमारी नीलू गौड़ ने
पेश किया है। वर्तमान में वे वाणिज्यिक कर कार्यालय इंदौर में सहायक
ग्रेड-III के पद पर कार्यरत हैं। निर्वाचन कार्यों के दौरान उन्हें
विधानसभा क्षेत्र क्रमांक इंदौर-5 के अंतर्गत बूथ लेवल अधिकारी (बीएलओ) का
दायित्व सौंपा गया है।
डॉक्टरों ने उन्हें पहले ही सूचित कर दिया था कि
उनकी माताजी अंतिम स्टेज पर हैं और किसी भी पल स्थिति गंभीर हो सकती है,
परंतु नीलू गौड़ ने इस भावनात्मक पीड़ा को भी अपनी जिम्मेदारी की राह में
बाधा नहीं बनने दिया।
22 नवम्बर को आया सबसे दुखद पल- माताजी का निधन
अवर्णनीय
पीड़ा के उस क्षण में भी उनका पहला विचार कर्तव्य था। सुबह 6 बजे उन्होंने
रोते हुए वरिष्ठ अधिकारियों को फोन पर सूचित किया और कहा, “सर, अभी माताजी
के पार्थिव शरीर को अस्पताल से लाने में समय लगेगा… तब तक मैं मतदाता सूची
के गहन पुनरीक्षण के कार्य में लगी रहती हूँ और फॉर्म कलेक्ट करके घरों से
ले आती हूँ।”
उनकी बात सुनकर प्रशासनिक व निर्वाचन विभाग के
अधिकारी भावुक हो उठे। मातृ-वियोग की पीड़ा के बीच भी अपने दायित्व को
सर्वोपरि रखना, नीलू गौड़ के अद्भुत संकल्प और श्रद्धा को दर्शाता है। आज
तक वे 540 से अधिक मतदाताओं के घरों तक फॉर्म पहुँचा चुकी हैं और लगभग 125
से अधिक फॉर्म कलेक्ट कर डिजिटाइज़ भी कर चुकी हैं। यह उपलब्धि किसी भी बूथ
लेवल अधिकारी के लिए उल्लेखनीय और प्रेरणादायक है।
नीलू गौड़ —
केवल एक खिलाड़ी नहीं, समाज और राष्ट्र सेवा की मिसालनीलू गौड़ का यह समर्पण
हर सरकारी कर्मचारी, खिलाड़ी और युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
कर्तव्य को सर्वोच्च प्राथमिकता देने वाले ऐसे कर्मयोद्धा राष्ट्र की
लोकतांत्रिक प्रणाली की सच्ची ताकत हैं। जिला प्रशासन, निर्वाचन विभाग तथा
सहयोगी अधिकारियों ने उनकी हिम्मत, सेवा भाव और कर्तव्यनिष्ठा की सराहना की
है।
इंदौरः कर्तव्यनिष्ठा की मिसाल बनीं नीलू गौड़, मातृ-वियोग के क्षणों में भी निभाया बीएलओ का दायित्व
नीलू गौड़ ने न केवल एक उत्कृष्ट खिलाड़ी के
रूप में अपना नाम स्थापित किया है, बल्कि उन्होंने यह भी सिद्ध कर दिया कि
वे एक कर्तव्यनिष्ठ, ईमानदार, लगनशील और समर्पित बूथ लेवल अधिकारी भी हैं।
जब उन्होंने बीएलओ के रूप में कार्यभार ग्रहण किया, तभी उनकी माताजी कैंसर
की अंतिम अवस्था से जूझते हुए इंदौर के एक अस्पताल में भर्ती थीं। परिवार
पर संकट के बादल मंडरा रहे थे, लेकिन नीलू गौड़ ने अपने कर्तव्य से समझौता
नहीं किया।
दिनभर अपने दायित्वों का निर्वहन और अस्पताल में माताजी की
देखभाल दोनों मोर्चों पर वे अदम्य साहस के साथ डटी रहीं। वे सुबह से लेकर
रात 9–10 बजे तक लगातार घर–घर जाकर मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण
कार्य फॉर्म पहुँचाना, भरवाना, कलेक्ट करना और डिजिटाइजेशन कराना आदि
कार्यों में जुटी रही। उनकी लगन को देखकर सभी पर्यवेक्षक और वरिष्ठ अधिकारी
प्रशंसा करते रहे।
