भोपाल: मध्य प्रदेश वर्ष 2025 में सोने की चमक से दुर्लभ
खनिजों तक देश में नया आत्मनिर्भरता का केंद्र बना। प्रदेश खनिज विकास के
लिहाज से एक ऐतिहासिक पड़ाव बनकर उभरा। अब तक कोयला, चूना पत्थर और
बॉक्साइट के लिए पहचाने जाने वाले इस राज्य ने वर्ष 2025 सोने और दुर्लभ प्राकृतिक तत्वों की खोज से राष्ट्रीय और रणनीतिक महत्व हासिल किया।
चुनौतियां और सतत विकास
वार्षिकी 2025 : सोने की चमक से दुर्लभ खनिजों के आत्मनिर्भरता का नया केंद्र बना मध्य प्रदेश
यह
उपलब्धि आर्थिक से कहीं अधिक भारत की तकनीकी, औद्योगिक और रक्षा
आत्मनिर्भरता से सीधे जुड़ी हुई है। भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण ऑफ इंडिया
(जीएसआई) और राज्य खनिज संसाधन विभाग के अनुसार वर्ष 2025 में मध्य प्रदेश
में खनन पट्टों की संख्या में लगभग 25 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। इसके
परिणामस्वरूप राज्य का खनिज राजस्व 15,000 करोड़ रुपये के करीब पहुंच गया।
खनिज उत्पादन का कुल मूल्य 1.2 लाख करोड़ रुपये आंका गया जो पिछले वर्षों
की तुलना में उल्लेखनीय वृद्धि दर्शाता है। विशेषज्ञ मानते हैं कि यह
वृद्धि राज्य की नीतिगत स्थिरता और निवेश-अनुकूल वातावरण का परिणाम है।
इसके साथ ही मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया है कि कोयला
नमूनों में कुल दुर्लभ लगभग 250 पीपीएम और गैर-कोयला अवशेषों में 400
पीपीएम तक दर्ज किए गए हैं। विशेष रूप से स्कैंडियम और यट्रियम जैसे तत्वों
की उपस्थिति को उन्होंने भविष्य की स्वच्छ ऊर्जा, इलेक्ट्रिक वाहन, रक्षा
और अंतरिक्ष तकनीक के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण बताया। कोल इंडिया
लिमिटेड द्वारा 2025 में किए गए दर्जनों ड्रिलिंग कार्यों के बाद सिंगरौली
क्षेत्र में दुर्लभ आधारित खनन पट्टों का रास्ता साफ हुआ।
केंद्रीय मंत्री
के अनुसार, “सरकार का लक्ष्य केवल खनन तक सीमित नहीं है, बल्कि स्वदेशी
तकनीक से इन खनिजों का निष्कर्षण और प्रसंस्करण सुनिश्चित करना है, ताकि
देश को आयात पर निर्भर न रहना पड़े।” सिंगरौली में दुर्लभ खोज का सीधा असर
से चीन पर निर्भरता में कमी आएगी, जो वर्तमान में वैश्विक आपूर्ति का बड़ा
हिस्सा नियंत्रित करता है।
जबलपुर जिले की सिहोरा तहसील में किए गए भूवैज्ञानिक
सर्वेक्षणों ने भी सोने की मौजूदगी के संकेत दिए हैं।
जीएसआई से जुड़े
विशेषज्ञों का कहना है कि यह क्षेत्र प्राचीन भू-गठन से संबंधित है, जो
दीर्घकालिक और सतत खनन के लिए अनुकूल माना जाता है। वर्तमान अनुमानों के
अनुसार, मध्य प्रदेश के सोने के भंडार अब 100 टन से अधिक हो सकते हैं, जोकि
देश के कुल अनुमानित भंडार का बड़ा हिस्सा है।
सोना
और दुर्लभ प्राकृतिक तत्वों के अलावा, 2025 में लिथियम, कोबाल्ट और निकल
जैसे महत्वपूर्ण खनिजों पर भी विशेष ध्यान दिया गया। बालाघाट जिले में
लिथियम भंडार की पुष्टि को विशेषज्ञ ऊर्जा क्षेत्र के लिए “गेम चेंजर” मान
रहे हैं। इससे बैटरी निर्माण और इलेक्ट्रिक मोबिलिटी को नई दिशा मिल सकती
है। इस संदर्भ में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि "मध्य
प्रदेश खनन और खनिज संसाधनों के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण केन्द्र के रूप
में उभरा है।
खनिजों की प्रचुरता और राज्य सरकार की निवेश अनुकूल नीतियों
के कारण मध्यप्रदेश देश की औद्योगिक प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा
है। खनन क्षेत्र में प्रदेश की उपलब्धियों से राज्य की अर्थव्यवस्था मजबूत
हो रही है। साथ ही, देश के औद्योगिक विकास और प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र
मोदी के आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने में भी प्रदेश का
महत्वपूर्ण योगदान सुनिश्चित हो सकेगा।"





