पटना: बिहार विधानमंडल के शीतकालीन सत्र के चौथे दिन राज्यपाल
के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान सदन में आज तीखी राजनीतिक गर्माहट देखने को
मिली। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अभिभाषण पर जवाब देते हुए विपक्ष पर
जोरदार हमला बोला और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार की
उपलब्धियों को विस्तार से रखा।
विरोध तब शुरू हुआ जब विपक्ष को अपने
संशोधन प्रस्ताव पर बोलने का मौका नहीं मिला। नाराज विपक्षी दलों ने
नारेबाजी की और बाद में सदन से वॉकआउट कर दिया।
अपने संबोधन के
दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि बीते वर्षों में राज्य में सड़क,
पुल-पुलियों और नई सड़कों के निर्माण से कनेक्टिविटी में ऐतिहासिक सुधार
हुआ है। उन्होंने दावा किया कि अब बिहार के किसी भी हिस्से तक पहुंचने में
छह घंटे से अधिक समय नहीं लगता।
नियुक्तियों को लेकर भी मुख्यमंत्री
ने सरकार की प्रक्रिया को पारदर्शी बताया। उन्होंने कहा कि अब सभी
बहालियां बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) के माध्यम से मेरिट के आधार पर हो
रही हैं।
नीतीश कुमार ने विपक्ष पर तंज कसते हुए कहा, " काम होगा
तो सबका फायदा होगा। पहले आप लोग मेरे हर फैसले को मानते थे, लेकिन बाद में
गड़बड़ी की, इसलिए अलग होना पड़ा। अब हम जहां हैं, वहीं रहेंगे।" इस दौरान
नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव सदन में मौजूद नहीं थे, जिस पर सत्ता पक्ष ने
भी टिप्पणी की।
हंगामे और विरोध के बीच विपक्ष के संशोधन प्रस्ताव
को ध्वनिमत से अस्वीकृत कर दिया गया। इसके बाद राज्यपाल के अभिभाषण पर लाया
गया धन्यवाद प्रस्ताव बहुमत से पारित हो गया। सत्र के दौरान सभापति अवधेश
नारायण सिंह ने कहा था कि विपक्ष के सभी संशोधन प्रस्तावों को समेकित रूप
से स्वीकार कर लिया गया है और मुख्यमंत्री के वक्तव्य बाद विपक्ष को वक्त
दिया जाएगा, लेकिन इस व्यवस्था पर विपक्ष ने कड़ी आपत्ति जताई।
सरकार
की व्यवस्था पर असहमति जताते हुए राबड़ी देवी के नेतृत्व में पूरा विपक्ष
सदन से वॉकआउट कर गया। विपक्ष का आरोप था कि सरकार एकतरफा बहस करा रही है
और संसदीय परंपराओं को दरकिनार कर रही है।